मेरी आवारगी

माँ रसोई में प्रेम पकाती है।

                 फोटो साभार : सोशल मीडिया

अम्मा पर लिखी यह कविता दुनिया की सारी मातृ शक्ति को समर्पित है।  
•••••••

माँ रसोई में प्रेम पकाती है।
***
माँ घर की कच्ची रसोई में अक्सर
सिर्फ भोजन नहीं प्रेम पकाती है।
स्नेह की धीमी आंच पर बड़े लाड़
के साथ जो पकवान बनाती है।
उसके चूल्हे की सूखी रोटी भी
56 भोग को मात दे जाती है।
उसने प्रेम की इसी मंद आंच में
अपना सारा जीवन होम कर दिया।
बुजुर्गियत के दौर में भी अपनी फिक्र
छोड़ चूल्हे-चौकी में जुट जाती है।
जब भी देखता हूँ उसकी आंख के नीचे
तिल-तिल बढ़ती झुर्रियों को, बस यही
लगता है कि माँ तो जीवन भर बच्चों के
लिए हांडी पर भोजन नहीं बस प्रेम पकाती है।

© दीपक गौतम

#aawarakidiary #आवाराकीडायरी #maa #माँ #अम्मा #amma #mothersday2025 #मदर्सडे2025 
#मातृदिवस2025 

फोटो साभार : सोशल मीडिया

नोट : यह कविता मातृ दिवस पर अपनी डिजिटल डायरी में प्रकाशित हो चुकी है। इसे लेखक की अनुमति के बिना कहीं और प्रकाशित नहीं किया जा सकता है। 

Post a Comment

0 Comments