मेरी आवारगी

About

      (जिंदगी के सफर में हूं)             

मध्यप्रदेश के सतना जिले के छोटे से गांव जसो में जन्म। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग से 2007-09 में 'मास्टर ऑफ जर्नलिज्म' (एमजे) में स्नातकोत्तर। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में लगभग डेढ़ दशक तक राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, राज एक्सप्रेस और लोकमत जैसे संस्थानों में मुख्यधारा की पत्रकारिता करने के बाद अब स्वतंत्र लेखन। लगभग डेढ़ साल मध्यप्रदेश माध्यम के लिए क्रिएटिव राइटिंग। बीते 15 सालों से शहर दर शहर भटकने के बाद फिलवक्त गांव को जी रहा हूं। बस अपनी अनुभूतियों को शब्दों के सहारे उकेरता रहता हूं। ये ब्लॉग उसी का एक हिस्सा है।

बाकी अपने बारे में इतनी टिप्पणी कर सकता हूं कि कभी तकदीर को हमने, तो कभी उसने हमें ठोकरें मारी हैं। बचपन से इसी अकड में हैं, हमेशा जिन्दगी से पढ़ने की तलब रही है। किताबों से जिन्दगी के फलसफे पढना पसंद नहीं। जीने के इसी गुरूर ने कभी आगे नहीं बढ़ने दिया। आलम ये है कि कभी अर्श तो कभी फर्श पे रहते हैं। मंजिल बहुत दूर है और मै सफर में हूं, जिन्दगी में कुछ भी अधूरा छोड़ना फितरत में नहीं, चाहे वो कलाम हो या किताब, इश्क हो इबादत। आवारगी बहुत रास आती है, इसमें रच बस गया हूं मैं । शब्द बेहद अपने लगते हैं, सिवाय इनके कुछ भी नहीं मेरे पास..!

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