मेरी आवारगी

मेवाड़ की माटी का लाल कर गया कमाल

मेवाड़ की माटी के लाल को मेरी भाव-भीनी श्रधांजलि
अपने सौर्य और पराक्रम लिए महाराणा को सदा याद किया जाता है।
अपने स्वाभिमान को मरते दम तक भारत माता के इस लाल ने मरने नही दिया। अपनी आन, बान और शान के लिए जीवन भर संघर्ष किया। अकबर को भी मेवाड़ की माटी के लाल ने नानी याद दिला दी।
''घांस -फूस की रोटी खाकर स्वाभिमान जिंदा रक्खा।
मात्रभूमि का प्यार न छोड़ा, आशा और विश्वास न छोड़ा।
महल छूट गया शान न छोडी आन- बान जिंदा रक्खा।
प्राणों की आहुति देकर खुद को आज तलक जिंदा रक्खा।
स्वाभिमान जिंदा रखना है याद करो महाराणा को।
हर कदम तिलांजलि देते हैं कहाँ स्वाभिमान जिंदा देखा।
अभिमान आज दिखता है बस ,स्वाभिमान मंदा देखा। ''
स्वाभिमान से जीने की जो राह महाराणा ने दी है, उस रह पे चलकर जीना मेरी द्रष्टि से अपने स्व को जिंदा रखकर जीना है। दुनिया में आते तो बहुत हैं पर जाते हैं तो बस चले ही जाते हैं, जाना तो वो है की मरने के बाद भी जीवन रहे।

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2 Comments

Udan Tashtari said…
हमारा भी सलाम.
Anonymous said…
yaar mere jeenda rahne ke liye ek mulakaat nahin ek
imaan jaroori hai