आवारा हर पतझड़ का अंजाम बसंत ही लूंगा
सिसकती ऋतु को महकता गुलाब कर दूंगा
उधार बहुत हो गया अबकी बहार में
सबका हिसाब कर दूंगा
मेरे पास मत आना मैं बहुत ख़राब हूँ
सबको ख़राब कर दूंगा ..
मुझे गिलास में उम्र भर कैद रख साकी ..
वरना सारे शहर का पानी शराब कर दूंगा ......
मेरी इन चार पंक्तियों के साथ भावी पत्रकारों का पत्रकारिता विभाग में हार्दिक स्वागत है ।
सिसकती ऋतु को महकता गुलाब कर दूंगा
उधार बहुत हो गया अबकी बहार में
सबका हिसाब कर दूंगा
मेरे पास मत आना मैं बहुत ख़राब हूँ
सबको ख़राब कर दूंगा ..
मुझे गिलास में उम्र भर कैद रख साकी ..
वरना सारे शहर का पानी शराब कर दूंगा ......
मेरी इन चार पंक्तियों के साथ भावी पत्रकारों का पत्रकारिता विभाग में हार्दिक स्वागत है ।
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