मेरी आवारगी

कुछ कहानियाँ किरदार ढूंढती हैं...

कुछ कहानियां किरदारों को ढूंढती हैं और कुछ किरदार कहानियों की तलाश में फिरते हैं. ये ठीक वैसा ही है कि कुछ किस्से अधूरे होकर भी पूरे नजर आते हैं और कुछ पूरे होकर भी अधूरे रह जाते हैं. हर किसी के पास अपना एक कोना होता है, जिसमें दुनिया भर का अगड़म-बगड़म इकट्ठा होता रहता है. दरअसल कहानियां वहीं से निकलती हैं. अक्सर जिंदगी के साबुत किरदारों के पीछे भागने में कहानी की आहट सुनाई नहीं देती है और अक्सर जिंदगी आगे निकल जाती है. कभी-कभी तो मुझे यूं भी लगता है कि जिंदगी ही कोई किरदार हो जाया करती है. हम सब न जाने एक जिंदगी में कितने किरदारों में सिमटे रहते हैं. खुद को ही खुद में समेट लें तो न जाने कितनी कहानियां रोज सामने होंगी. शायद लिखने वालों ने हर लम्हा ऐसे ही किरदारों और जिंदगी की आवाज सुनी हो और हर अनकहे किस्से कागज में उतार दिए। मगर सच और कहानी में अंतर होकर भी न होना केवल कल्पनाशील या रचनाधर्मी होने का कमाल नहीं है. ये और भी कुछ है जो किरदारों और कहानियों के बीच की बारीक कड़ियों को जोड़ता है। वो अंदर से आती आवाजें ही हैं जो कभी किसी किरदार के पीछे दौड़ाती हैं, तो कभी कहानी के। 
मेरा तो अब तक किसी ऐसे किरदार और कहानी के साथ चलने या भागने का तजुर्बा नहीं रहा। शायद अंदर से अब तक कोई आवाज नहीं आई, या ये हो के दुनिया में हर पल दौड़ते-भागते करोड़ों किरदारों और कहानियों को मेरा किरदार पसन्द नहीं आया। बहरहाल कोशिश में हूँ कुछ सुन सकूं। जैसे कुछ कहानी और किरदार अधूरे होकर भी पूरे होते हैं। महान प्रेम कथाएं पूरी ही इसलिए हैं क्योंकि उनमें प्रेमी असफल रहे पर प्रेम सफल हो गया और अमर भी।  
   इसीलिए भागदौड़ के बीच रुकना चाहता हूँ आकंठ मौन में, सूनेपन में जहाँ जगतभर के किरदारों को सुन सकूं। कुछ खोज सकूं, किसी एक कहानी से तो मिल सकूं। मुझे यूँ भी लगता है कि मुंशी जी से लेकर मंटो तक सारे महान कथाकारों के पास कहानियों और किरदारों को सुनने की उन्हें खोजने की एक विलक्षण प्रतिभा थी। या यूँ कहें कि उन्हें ये जन्मजात गुण मिला था, समय के साथ उन्हें साबुत किरदारों और कहानियों की खोज के लिए अपना हुनर नहीं तराशना पड़ा। वो बस कहानियां को जीते रहे अपनी रचनाधर्मिता और कल्पनाशीलता के साथ। शायद यही वजह है कि समाज के इर्द-गिर्द छुपे उन स्याह पात्रों की जिंदगियों ने हमें गहरे तक झकझोरा है। ऐसे तमाम स्थापित लिख्खाड़ों को सम्भवतः कहानियों और उनके किरदारों ने ही चुना था। तभी तो अब तक हर चरित्र और कथा ज़िंदा है। बस यूँ ही एक रोज किसी कहानी और किरदार के पीछे भागते हुए प्राप्त हुआ ब्रह्मज्ञान। तस्वीर में दिख रही इस कांच वाली खिड़की की भी एक कहानी है, क्योंकि मैं इससे बाहर की दुनिया देख पाता हूँ। 



#आवाराकीडायरी 2016

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