मुझे पढने वालो आपको दीवाली पर मेरी इन पंक्तियों से दीवाली की शुभकामनाएं
॥ आप सबको दिल से दीवाली की शुभकामनाएं ॥
॥ तमन्ना है यही बस आप हर दीवाली ॥
॥ घर पर ही घरवालों के साथ मनाए ॥
घर से दूर रहकर भी दीवाली कुछ इस तरह मनाई की घर से दूर होने का मलाल नहीं रह गया। दीवाली से एक दिन पहले सोच रहा था कि माँ के हांथों का पकवान उसके हांथों से नहीं खा पाउँगा। गाँव कि गलियों में यारों के साथ पटाखे नहीं फोड़ पाउँगा। बहन के साथ वो दिया जलाना l दादा जी का दीवाली पर विशेष पूजन, सारा गाँव रोशनी से जगमगा उठता था अब शब्दों से क्या बयां करूँ की घर की दीवाली को कैसे याद कर रहा थाl याद करते करते दीवाली का दिन भी आ गया सुबह हुई तो कुछ इस तरह का नजारा था (यहाँ भोपाल में सब उल्टा है त्यौहार पर दुकानें बंद होती है तो मेरे यहाँ और खुल जाती हैं जो विशेषतः त्योहारों पर ही खुलती हैं) सवेरे से नाश्ते के लिए खोज करनी पड़ी दोपहर का खाना भी हो ही गया मगर शाम तो लोगों से बात करते-करते सबको दीवाली की शुभकामनायें देते-देते ही आ गई और अपने साथ लाई प्रकाश पर्व की वो पावन बेला जिसका इंतजार था l डिपार्टमेन्ट तो हमेशा घर सा लगता है मगर आज यहाँ कुछ खाश था l हम सारे विद्यार्थी एक गुरु के साथ नहीं बल्कि एक परिवार के पिता के साथ थे ये देखकर घर याद आ गया l पूजन हुआ दीप जलाये खूब मिठाई खाई और लड़-झगड़कर पटाखे छोडे l एक कतार में बैठकर सबने साथ-साथ खाना खाया l सब लोगों का साथ-साथ रहना और इस तरह मिलकर दीवाली मनाना घर को याद तो दिलाता रहा मगर घर की कमी नहीं खली l माँ के प्यार का तो कोई पर्याय नहीं है पर सबका साथ रहा और प्यार मिला तो दीवाली घर वालों से दूर मगर रौशनी से भरपूर रही l
॥ आप सबको दिल से दीवाली की शुभकामनाएं ॥
॥ तमन्ना है यही बस आप हर दीवाली ॥
॥ घर पर ही घरवालों के साथ मनाए ॥
घर से दूर रहकर भी दीवाली कुछ इस तरह मनाई की घर से दूर होने का मलाल नहीं रह गया। दीवाली से एक दिन पहले सोच रहा था कि माँ के हांथों का पकवान उसके हांथों से नहीं खा पाउँगा। गाँव कि गलियों में यारों के साथ पटाखे नहीं फोड़ पाउँगा। बहन के साथ वो दिया जलाना l दादा जी का दीवाली पर विशेष पूजन, सारा गाँव रोशनी से जगमगा उठता था अब शब्दों से क्या बयां करूँ की घर की दीवाली को कैसे याद कर रहा थाl याद करते करते दीवाली का दिन भी आ गया सुबह हुई तो कुछ इस तरह का नजारा था (यहाँ भोपाल में सब उल्टा है त्यौहार पर दुकानें बंद होती है तो मेरे यहाँ और खुल जाती हैं जो विशेषतः त्योहारों पर ही खुलती हैं) सवेरे से नाश्ते के लिए खोज करनी पड़ी दोपहर का खाना भी हो ही गया मगर शाम तो लोगों से बात करते-करते सबको दीवाली की शुभकामनायें देते-देते ही आ गई और अपने साथ लाई प्रकाश पर्व की वो पावन बेला जिसका इंतजार था l डिपार्टमेन्ट तो हमेशा घर सा लगता है मगर आज यहाँ कुछ खाश था l हम सारे विद्यार्थी एक गुरु के साथ नहीं बल्कि एक परिवार के पिता के साथ थे ये देखकर घर याद आ गया l पूजन हुआ दीप जलाये खूब मिठाई खाई और लड़-झगड़कर पटाखे छोडे l एक कतार में बैठकर सबने साथ-साथ खाना खाया l सब लोगों का साथ-साथ रहना और इस तरह मिलकर दीवाली मनाना घर को याद तो दिलाता रहा मगर घर की कमी नहीं खली l माँ के प्यार का तो कोई पर्याय नहीं है पर सबका साथ रहा और प्यार मिला तो दीवाली घर वालों से दूर मगर रौशनी से भरपूर रही l
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दीवाली की शुभकामनाएं.