मेरी आवारगी

वेंटिलेटर पर देश, अब और प्रयोग नहीं : श्री श्री

औरंगाबाद में 3 मार्च 2014 को राजनितिक महासत्संग में बोलते श्री श्री।  छाया : शकील खान।  
महासत्संग में औरंगाबाद आए आॅर्ट आॅफ लिविंग के संस्थापक और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से रूबरू होने का मौका मिला. खाटी प्रेम, साधना, सेवा और ध्यान-सत्संग से लोगों के जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाले श्री श्री देश के मौजूदा हालात से चिंतित हैं. वह देश के गिरते आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर को लेकर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की बात कहते हैं. आध्यात्मिक गुरु भी आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर मौजूदा सियासी रंग में रंगे दिखे. उन्होंने योग, साधना और ध्यान के मंच से नौसिखिया राजनीतिक दलों पर निशाना साधते हुए जनता से केंद्र में एक दल की सरकार बनाने की अपील की. सत्ता की बागडोर में बदलाव लाने और सकारात्मक परिवर्तन के लिए वह जनसमूह को सौ फीसदी वोटिंग करने का सुझाव देते रहे.
नौसिखियों को नहीं सौंप सकते सत्ता : औरंगाबाद का मराठवाड़ा सांस्कृतिक मंडल में जनसैलाब को संबोधित करते हुए श्री श्री ने देश के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक हालात का चिंतन किया. उन्होंने किसानों की आत्महत्या, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, देश का घटता विदेशी पर्यटन और घरेलू मुद्रा में नरमी जैसे अहम मुद्दों की बात करते हुए अपनीय चिंता जाहिर की. उनका कहना था कि हमारा देश वेंटिलेटर पर है, अब हमारे पास और प्रयोग का समय नहीं बचा है. देश की सत्ता किसी भी सूरत में नौसिखिया के हाथों में नहीं सौंपी जा सकती है. हमें अनुभवी, मजबूत और सशक्त एक दलीय सरकार की केंद्र में जरूरत है. गठबंधन की खीचतान में देश विकास की राह पर नहीं चल सकता है.
किसी दबाव में न दें वोट : श्री श्री ने अन्याय, अधर्म और अज्ञान के खिलाफ खड़े रहने का मशविरा देते हुए युवाओं से दबाव में आकर या पैसा लेकर वोटिंग न करने की बात कही. श्री श्री देश में राजनीतिक परिवर्तन का समर्थन करते हुए सौ फीसदी वोटिंग को सही ठहराते हैं. उनका मानना है कि जनता यदि देश के लिए ईमानदार होकर पूरी वोटिंग करे, तो राजनीति का परिदृश्य बदलने में समय नहीं लगेगा.
दैवभक्त ही देशभक्त : प्रेम का संदेश फैलाने वाले गुरु ने दैवभक्त और देशभक्त को एक ही सिक्के का अलग-अलग पहलू बताया. उन्होंने कहा कि यदि आपको माली पसंद है, तो बाग से नापसंदगी का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है. ईश आराधना करने वाला देशभक्त न हो यह कतई संभव नहीं है. इसलिए भगवत भजन की तरह देश के लिए भी रोजाना एक घंटा निकालना चाहिए. जनहित के लिए सप्ताह में सात घंटे की भागीदारी भी यदि देश का प्रत्येक युवा करना शुरू कर दे, तो विकास संभव है.
प्रेम से खत्म होगा भ्रष्टाचार : हमारी वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा से भ्रष्टाचार का खात्मा आसानी से हो सकता है. जहां से प्रेम और अपनापन शुरू होता है, वहीं से भ्रष्टाचार खत्म होता है, क्योंकि परायेपन का भाव ही अहित में डूबकर लोगों से भ्रष्टाचार कराता है. यदि मनुष्य आपस में प्रेम भाव से रहे, तो अपनापन उपजेगा और जगत में सिर्फ प्रेम ही रहेगा.
तीन तरह के विश्वास से खुशी : तीन तरह के विश्वास व्यक्ति को सुखी बनाते हैं. पहला ईश्वर पर विश्वास , दूसरा आत्मविश्वास और तीसरा समाज की अच्छाई पर विश्वास. यदि आप यह तीन तरह के विश्वास खुद में पैदा कर लेंगे तो दुखों से लड़ने और खुशी के समीप जाने का साहस मिलेगा.
मानवता ही तुम्हारी जाति : मानवता को सबसे बड़ी जाति बताते हुए श्री श्री कहते हैं कि जाति, धर्म के आधार पर बंटने की अपेक्षा मानवता के भाव में बहना सीखो
ईश्वर का दास उदास नहीं होता : जीवन को खुशियों से भरने के लिए उसे रसमय करना होगा, मन की उदासी और नीरसता ही सारे दुखों का कारण है. खुशी चाहिए तो ईश्वर के दास बनो, तुम कभी उदास नहीं रह जाओगे. यह जीवन का सबसे बड़ा रहस्य है, स्वयं को प्रभु के चरणों में समर्पित करो, जीवन प्रेम और आनंद से भर जाएगा. साधना, सेवा और सत्संग का संदेश फैलाओ, जो समुदाय विशेष के नाम पर बंटने और बिखरने के भाव से काफी ऊपर है. व्यक्तिगत हित में जब आप डॉक्टर और वकील की धर्म-जाति नहीं देखते हैं, तो देशहित में आपको जाति-धर्म के नाम पर बंटने से की अपेक्षा मजबूत और सशक्त उम्मीदवार चुनना चाहिए.

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