नानी तुम्हारा जीवन से जाना एक प्राण का नहीं युग का अंत है। तुम्हारे साथ मिट्टी के बर्तन में पकने वाला सोंधा स्वास्थ्य के लिए लाभकारी दूध, घर में बनता माखन-मावा, आंगन में खिलते फूल, हर बीमारी के अचूक देशी घरेलू नुस्खे जैसे हजारों बातें तुम्हारे साथ गायब हो गईं। गंवई सभ्यता का अहम हिस्सा कही जाने वाली कहानियाँ भी नानी तुम्हारे साथ अनंत में चली गईं।
अंग्रेजों के राज से लेकर उस क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों और पन्ना के हीरों की दास्तानें सोते-सोते सुनना एक अजब तरह का संस्कार था, जो अब मिलने की कल्पना नहीं की जा सकती है। तकनीक की दुनिया में कहानियों का दौर और तुम्हारे गोद में प्यार भरी झपकी का जमाना हमेशा के लिए जा चुका है। तुम्हारे कहानी-पाठ और खेल-खेल में याद हो जाने वाले संगीतमय पहाड़ों को गुनगुनाना शायद अब नई पीढ़ियों को नसीब नहीं होगा। तुम्हारे जाने के बाद सहसा एक दिन बुंदेली के वो मीठे राग मेरी जबान पर आ गए, लेकिन चाहकर भी वो मिठास पैदा न हुई और न ही वो राग।
गर्मियों की छुट्टियों में आँगन में खेला गया गिप्पी-गेंद और चंदा-गोटी में उलझाकर खर्च की गई हमारी दोपहर, जिसके बहाने सिखाई गई गिनती का मर्म तब समझ आया जब पहली जमात में मास्टर जी की छड़ी हमारे हाँथ में नहीं चिपकी।
कहते हैं कि पहली पाठशाला माँ होती है, तुम हमारी माँ की माँ थीं नानी। प्यार से भरीं ममता का अथाह सागर। तुम्हारी सीखें पाठशाला शुरू करने से पहले बच्चों के दिल-दिमाग में घर कर जातीं थीं। आज तुम्हारे जाने के बाद आँखों के सामने तुम्हारी यादों का सारा संसार तैर रहा है। तुम्हारी पंचतन्त्र की कहानियां और देश-दुनिया से रूबरू होने का मौका अब कहाँ मिलेगा ?
हर बार बारिश शुरू होने से पहले घर के मवेशियों को जंगल ले जाने का परम्परागत खानदानी नियम तब समझ आया, जब वहाँ से लौटने पर जंगली जानवरों की प्राकृतिक मौत के बाद इकट्ठा किए गए दांत-छालें, कस्तुरी और जड़ी-बूटियों से भरी तुम्हारी पोटली देखने को मिलती थी। गिनती ही नहीं है कितने मिर्गी, अलर्जी और तरह-तरह के इन्फेक्शन वाले रोगियों को तुम्हारी चुटक-बैदिया ज्ञान ने ठीक किया है।
नानी माँ तुम्हारे उन नुस्खों के दम पर ही बचपन में लगभग काटकर हाथ से अलग होने की कगार पर आ चुकीं दो अंगुलियाँ आज तक सलामत हैं। मुझे अच्छी तरह याद है डॉक्टर का इंकार और तुम्हारा भरोसा कि जड़ी-बूटियों से मेरा हाँथ लूला होने से बच जाएगा। तुम्हारे साथ एक पूरी गंवई संस्कृति का देहांत हो गया है।
ज्ञान से विज्ञान और समाज से लेकर संस्कृति तक सबको खेल-खेल में कहने समझाने का प्यार भरा अंदाज प्यार ही सिखाता रहा। अब तुझसे मिला जो भी कहीं दे सकूंगा वो अदद सुकून भरा होगा। जेहन की गहराइयों में बसा तेरा सोंधा-सोंधा हर वक्त महकता खट्टा-मीठा प्यार-दुलार एक बच्चे को मिलने वाली कोरी थपकी ही नहीं समूची गंवई संस्कृति की छाप है। नानी तुम्हें नमन है....तुम बहुत याद आओगी। ईश्वर तुम्हारी आत्मा को शांति प्रदान करे।
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