मेरा नाम भी तुम्हारे नाम में छिपा है
तुम में हम और हम में तुम बसा है
कैसे अजनबी हो गए हम दोनों
मगर नाम जो जहाँ था वहीं खुदा है
लोग कहते हैं नाम में क्या रखा है
देखो न जब भी अपना नाम
लिखता हूँ तुम लिख जाते हो
पढ़ता हूँ नाम मेरा तुम चले आते हो
कितना अजनबी कर दिया है तुमने
इक नाम ने अब तक जोड़ रखा है
तुम जब लिखते होगे नाम अपना
मेरा भी तो लिख ही जाता होगा
शायद तब आवारा भी याद आता होगा
# कभी सालों पहले यूँ ही किसी रोज
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