मेरी आवारगी

जमीन में जन्नत की तलाश है

चल चलें कहीं दूर जहाँ न हो जीने की फिकर न मरने का गम....जिन्दगी जहाँ आसानी से बाहों में मुस्कराती हुई आये और गम दूर खड़े अपनी बरबादियों का रोना रोयें। कोई ऐसा कल्पनालोक बता साथी जिसे यथार्थ में साकार किया जा सके। बस ये मत कहना कि वो वही प्रेमनगर होगा जहाँ प्रेमिका की आँख में दिखती खूबसूरत दुनिया हो या फिर उस मरमरी बांह में पिघलता यौवन। मुझे वो जगह बता जहाँ इसके इतर प्रेम पसरता हो और दुनिया प्रेम से लबालब हो। बोल साथी है कोई ऐसी जगह। मैं जमीन की जन्नत तलाश रहा हूँ....तेरे रहते हुए ये खोज अधूरी नहीं होनी चाहिए
#आवाराकेफिजूलनोट्स
 
महाबलेश्वर में सेल्फ़ी 

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