मेरी आवारगी

अर्थतंत्र की सुरक्षा में अब तक की सबसे बड़ी सेंधमारी

बुधवार 19 अक्टूबर को इकोनॉमिक टाइम्स (ईटी) की ओर से प्रकाशित एक खबर के बाद बैंकिंग उद्योग में हलचल मची हुई है। ये अब तक देश की 'अर्थतंत्र' सुरक्षा में लगाई गई सबसे बड़ी सेंध मानी जा रही है। ईटी ने 19 अक्टूबर को विभिन्न बैंकों के लगभग 32 लाख डेबिट कार्ड धारकों की जानकारी में सेंधमारी की आशंका वाली खबर प्रकाशित की थी। इसमें पुख्ता सूत्रों के हवाले से इतने कार्ड धारकों का डेटा लीक होने की बात कही गई थी, जिसको देखते हुए एहतियातन गुरुवार को सारे सम्बंधित बैंक सकते में आ गए हैं।

 इस सेंधमारी से प्रभावित होने वाले डेबिट कार्डों में 26 लाख कार्ड वीजा और मास्टरकार्ड प्लेटफॉर्म के, जबकि 6 लाख कार्ड घरेलू रूपे प्लेटफॉर्म के माने जा रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित होने वालों में स्टेट बैंक आॅफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक व एक्सिस बैंक के डेबिट कार्ड धारक शामिल हैं।  इससे बैंक उपभोक्ता, बैंकिंग उद्योग और सरकार 'टेंशन मोड' में है। 

बहरहाल चिंताजनक परिस्थिति को देखते हुए विभिन्न बैंकों ने अपने-अपने स्तर पर संदिग्ध 32 लाख डेबिट कार्ड धारकों के कार्ड या तो ब्लॉक कर नए जारी करने के निर्देश दिए हैं या कार्ड धारकों को अन्य सुरक्षा उपाय सुझाए हैं। सरकार ने भी आनन-फानन में गुरुवार को मोर्चा संभालते हुए सम्बंधित बैंकों और बैंकिंग उद्योग से जुड़ी एजेंसियों से जवाब तलब भी किया है। 

   अब आगे इस मुद्दे पर जो भी होगा धीरे-धीरे आपके सामने आएगा। यह सारी राम कहानी आपको खबरदार करने के लिए लिखी गई है। शायद आप मामले की गम्भीरता को न समझ रहे हों, लेकिन इसे पूरा पढ़ने के बाद आप गम्भीर होंगे मुझे यकीन है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सूचना व संचार क्रांति के इस युग में अगर उपभोक्ता को 'ऑनलाइन पेमेंट गेटवे' के ढेरों विकल्प उपलब्ध कराने वाले सभी सर्विस प्रोवाइडर इतने कमजोर हैं कि उनसे डेबिट कार्डों की जानकारी 'लीक' हो रही है, या की जा रही है ? जो भी हो हालात चिंताजनक हैं। 

इससे जुड़ी एक खबर लिखते वक्त जब बैंकिग उद्योग से जुड़े जानकारों से बात हुई तो उनका कहना था कि देश में 3 या 4 'कार्ड नेटवर्क प्रोवाइडर्स' या 'सर्विस प्रोवाइडर ( डेबिट कार्ड बनाने, उसे इस्तेमाल करने की सुविधा और सुरक्षा प्रदान करने वाले ) हैं। ऐसे में कार्डों की जानकारी में सेंध का सीधा मतलब किसी न किसी 'सर्विस प्लेटफॉर्म' पर ये आकलन एजेंसी के मुताबिक 2016 के अंत तक देश का ई-कॉमर्स बाजार 2 लाख करोड़ रुपए के पार जाने का अनुमान है, जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई महीने के अंत तक भारत में 697.2 मिलियन डेबिट कार्ड जारी हुए हैं। अब आप खुद ही इससे ये अंदाजा लगा सकते हैं कि 'डिजिटली साउंड' चोरों या 'हैकर्स' के लिए यहाँ कितना स्कोप है। 

ऐसे में सरकार, इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) और रिजर्व बैंक को इन 'कार्ड नेटवर्क प्रोवाइडर्स' या 'सर्विस प्रोवाइडर्स' की  'क्रेडेंशियल ऑडिट' सम्बंधी नियमों को जांचना-परखना होगा, ताकि उनकी जवाबदेही तय हो सके। दिनोंदिन और तरक्की कर रही आधुनिक तकनीक के युग में ऐसी घटनाएं हमारी खामियों को उजागर करती हैं, जिनसे समय रहते निजात जरूरी है। दीपावली के ठीक पहले ऐसा होना बाजार के लिए बेहद हानिकारक माना जा रहा है। क्योंकि 'प्लास्टिक मनी' का प्रयोग दिनोंदिन बढ़ रहा है।

अर्थ सुरक्षा में सेंध : हालांकि इस सेंधमारी से कुल डेबिट कार्ड धारकों में से 0.5 कार्ड धारक ही प्रभावित हैं। फिर भी यह एक बड़ी चूक है। अर्थ सुरक्षा में सबसे बड़ी सेंध है, जो देश में डेबिट कार्डों की सेवाएं देने वाले तीन से चार सर्विस प्रोवाइडर्स की चूक से ही संभव है। कार्डों की जानकारी किसी भी 'पेमेंट गेटवे' पर इन्हीं की ओर से साझा की गई है या हुई है। यह लोगों की गाढ़ी कमाई पर हमला है, इतनी कमजोर सुरक्षा में डिजिटल इंडिया कैसे होगा ? 

यस बैंक और हिताची के एटीएम में चूक : शुरुआती जानकारी में यस बैंक और हिताची कम्पनी के लगभग 48 हजार एटीएम इस डेटा चोरी के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं , जहाँ से उपभोक्ताओं का डेटा चोरी हुआ है। हालांकि इन दोनों कंपनियों ने अपनी साझा एटीएम सेवा में ऐसी किसी सेंधमारी होने से इंकार किया है। इस पूरे मुद्दे पर अभी और कई परतें खुलना बाकी हैं।

फर्जी फोनों से रहें सावधान : अक्सर फर्जी फोन कॉल्स पर किसी भी इनामी योजना की लालच में जागरुकता के आभाव वाले उपभोक्ता कार्ड की पूरी जानकारी दे देते हैं, जबकि कभी भी कोई बैंक उपभोक्ता से यह जानकारी नहीं मांगता है। इसलिए कभी भी किसी अनजान को फोन पर अपना पासवर्ड या कार्ड की दूसरी जरूरी जानकारी साझा करने से बचें। 

इंटरनेट में लगाएं ताला : विशेषज्ञों की मानें तो डेबिट कार्ड से आॅनलाइन शॉपिंग या ट्रांजेक्शन करने वाले लोग गूगल या क्रोम पर इन्काग्नीटो विंडो में नेट ब्राउजिंग करें। साथ ही हर तरह के ट्रांजेक्शन के बाद सर्च और ब्राउज हिस्ट्री में जाकर हर बार आॅल कुकीज डिलीट मारें।

स्मार्ट फोन बनेगा जी का जंजाल : आॅनलाइन ई-कॉमर्स गतिविधियों के बीच सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर समय बिताने से भी कार्डों की जानकारी में सेंधमारी की आशंका है. स्मार्ट फोन से लोग सोशल नेटवकिंग साइट्स और शॉपिंग एप्स पर 24 घंटे आॅनलाइन रहते हैं, जिन्हें इस्तेमाल के बाद लॉगआॅउट करना चाहिए।  ज्यादातर लोग फोन या मेल पर ही कार्ड संबंधी जानकारियां आपस में साझा करते हैं या इकट्ठा करके रखते हैं, जिससे बचना चाहिए। 

नोटः यह चिट्ठा विशेषज्ञों और साइबर एक्सपर्ट्स से चर्चा पर आधारित है। अपरिहार्य कारणों से उनका नाम यहाँ प्रकाशित नहीं किया गया है। इसकी कुछ जानकारी की पुष्टि खबरिया एजेंसियों से भी की गई है।

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