मेरी आवारगी

माखनलाल यूनिवर्सिटी में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा, नियमों के विरुद्ध की गईं नियुक्तियां

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय के कुलपति बी.के. कुठियाला और रेक्टर लाजपत आहूजा ने समूचे संस्थान की साख को तार-तार कर उसे एक राजनैतिक अखाड़ा बनाकर भ्रष्टाचार के कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। हाल ही में बिना किसी भर्ती प्रक्रिया पालन और इंटरव्यू लिए बगैर वि. वि. द्वारा सीधे जारी किये गए नियुक्ति आदेश और भाजपा शासन के दौरान हुई अवैध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार की जांच की मांग और जाँच न होने की स्थिति में उच्च न्यायालय में परिवाद दायर कर जाँच की मांग को लेकर “स्वराज अभियान” लीगल सेल के म.प्र. प्रभारी एवं सदस्य देवेंद्र प्रकाश मिश्र एवं एनएसयूआई के प्रदेश प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी की संयुक्त प्रेस वार्ता का आयोजन किया। जिसमे विवि में व्याप्त अनिमताओ के मुद्दों और फर्जी नियुक्तियों पर चर्चा की गई।
माखनलाल चतुर्वेदी वि. वि. UGC और मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा के नियमों को धता बताते हुए एक बार पुनः नियुक्तियों की तैयारी में है। माखनलाल चतुर्वेदी वि. वि. में हाल ही में हुए इंटरव्यू के लिफाफे 17 अक्टूबर को खोले जाएंगे। ज्ञात हो क़ि विवादों के चलते विश्वविद्यालय प्रसाशन लंबे समय से इस प्रक्रिया को टालता रहा है।बताया जा रहा है कि इन नियुक्तियों को लेकर कुलपति कुठियाला काफी दवाब में है। लिफाफे में बंद हरियाणा के अपने परिचितों की नियुक्ति को लेकर उनपे दबाव है।

आपको ज्ञात हो कि टीचिंग फैकल्टी में भी कुछ दिन पूर्व हुई नियुक्तियों में गड़बड़ियां हुई है जो कि इस प्रकार है।

1. सुरेंद्र पॉल ST कोटे से NET क्वालिफाइड है उन्हें असिस्टेंट प्रोफेसर के जनरल कोटे में नियुक्ति दे दी गई।
2. मोनिका वर्मा का एसोसिएट प्रोफेसर पर नियुक्ति में उसके phd के दौरान पढ़ाये गए एक्सपेरिएंस को भी जोड़ा लिया गया। जबकि एक्सपेरिएंस क्वालिफिकेशन के बाद का मान्य होता है।
3. वही अविनाश वाजपेयी के पास पढ़ाने का एक्सपेरिएंस नहीं और न ही पत्रकारिता में पीएचडी है। फिर भी इन्हें एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दे दी गई।
4.बिना किसी सार्वजानिक विज्ञापन के बगैर साक्षात्कार प्रक्रिया को अपनाये सुश्री राजनी नागपाल को प्रशासनिक तथा शैक्षणिक समन्वय के पद पर 5 वर्ष के लिए संविदा नियुक्ति प्रदान कर दी गई।।
5.इसी प्रकार रीवा परिसर में जयराम शुक्ला को बिना किसी साक्षात्कार के कुलाधिसचिव के लेटरहेड पर 30000 रुपए मासिक पर समन्वयक पर नियुक्ति प्रदान कर दी गई।

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय लगातार के शैक्षिणिक स्तर में विगत 6 सालों में गिरावट दर्ज की गई है। कुलपति कुठियाला एवं निदेशक सम्बद्ध संस्थाएं, दीपक शर्मा का उद्देश्य पैसे कमाना रह गया है। पैसे लेकर लगातार नए संस्थओं को संबद्धता दी जा रही है। जहाँ वर्ष 2010 में वि वि के सम्बद्ध संस्थाओं की संख्या 400 थी वाही आज 900 पर कर गई है। साथ ही और संबद्धता देने की बात चल रही। संबद्धता देने से गुणवत्ता में गिरावट आई है।
हाल ही में प्रोड्यूसर एवं प्रोडक्शन असिस्टेंट की नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का खुलासा होने के बाद इंटरव्यू टाल दिया गया था। 20 अगस्त को इंटरव्यू होने थे। लेकिन अपने चहेतों को सूची में नाम दिया गया और उनसे ज्यादा योग्यता रखने वालों को साक्षातकार सूची से बहार कर दिया गया था।

साभार : http://mpbreakingnews.in/2016/10/17/big-scam-in-makhanlaal-university/

नोटः इस खबर की सत्यता की पुष्टि
"मेरी आवारगी " ने नहीं की है। यह सम्बंधित खबरिया सोर्स साइट से साभार बिना सम्पादन के यहाँ पाठकों के लिए लगाई गई है। इसलिए इससे जुड़े किसी भी तरह के वाद-विवाद के लिए ब्लॉग जिम्मेदार नहीं होगा।

Post a Comment

0 Comments