आजाद हुआ भारत अपना वीरों की बली चढ़ाई थी।
आजादी के संग्राम मे इस ज्वाला न बुझने पाई थी।
कारण इसका वीरों ने ज्वाला मे लहू बुझाया था।
वो 'दीपक' क्या बुझ सकता है जिसको लहू पिलाया था।
आजाद हुआ भारत अपना गुलामी की जंजीरों से।
इन्सान कहाँ आजाद हुआ भ्रष्टाचारी रणधीरों से।
पाप\पुण्य दो पलड़े हैं बस जीवन का ये झूला है।
आजाद कहां इन्सान हुआ देखो वो गम मे भूला है।
आजादी तो ये तन की है अभी मन कहाँ आजाद हुआ।
आजाद तभी भारत होगा जब मन सबका आजाद हुआ।
भारत की ये सत्ता तो बनती है भोले बच्चों से।
बच्चों को अमृत का एक घूंट अगर दे दिया जाए।
अरे बात कहाँ है अमृत की उनको जहर पिलाया जाता है।
भ्रष्टाचारी और नशे का वो घूंट दिलाया जाता है।
चाट रही ये भ्रष्टाचारी दीमक सी इस भारत को।
कौन कहे कल क्या होगा दाता की अदालत को।
दीमक को अगर मिटाना है तो भ्रष्टाचारी हटाना है।
वीरों की उस ज्वाला में इसका हवन लगाना है....आवारा।
आजादी के संग्राम मे इस ज्वाला न बुझने पाई थी।
कारण इसका वीरों ने ज्वाला मे लहू बुझाया था।
वो 'दीपक' क्या बुझ सकता है जिसको लहू पिलाया था।
आजाद हुआ भारत अपना गुलामी की जंजीरों से।
इन्सान कहाँ आजाद हुआ भ्रष्टाचारी रणधीरों से।
पाप\पुण्य दो पलड़े हैं बस जीवन का ये झूला है।
आजाद कहां इन्सान हुआ देखो वो गम मे भूला है।
आजादी तो ये तन की है अभी मन कहाँ आजाद हुआ।
आजाद तभी भारत होगा जब मन सबका आजाद हुआ।
भारत की ये सत्ता तो बनती है भोले बच्चों से।
बच्चों को अमृत का एक घूंट अगर दे दिया जाए।
अरे बात कहाँ है अमृत की उनको जहर पिलाया जाता है।
भ्रष्टाचारी और नशे का वो घूंट दिलाया जाता है।
चाट रही ये भ्रष्टाचारी दीमक सी इस भारत को।
कौन कहे कल क्या होगा दाता की अदालत को।
दीमक को अगर मिटाना है तो भ्रष्टाचारी हटाना है।
वीरों की उस ज्वाला में इसका हवन लगाना है....आवारा।
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