आतंकवादी घटनाओं के प्रति राजनेताओं की सपाट बयानबाजी उनके गैरजिम्मेदाराना रवैये को दर्शाती है। पिछले एक वर्षों से लगातार हो रही आतंकवादी गतिविधियों से जनता को निजात दिलाने में ये हुक्मरान निक्कमे साबित हुए हैं अब सरकार से आशा करना तो ''भैंस के सामने बीन बजाना है '' ऐंसे मे कम से कम मीडिया ने अपनी जिम्मेदारी को समझा तो है पर टीक ढंग से निभाया नहीं है जब मुंबई धमाकों और दहशत के जीवन्त पलों को लोग घर में बैठे देख रहे थे तो उनमें जिन्दगी जीने की ललक बढती जा रही थी पर डर का कोई पारावार न था । वहीं बच्चों की मानसिक व्यथा को समझ पाना टीआरपी में उलझे टीवी चैनलों के लिए मुश्किल है कमांडो की बहादुरी और गलतियों पर भी लोगों की निगाहें थी। सारा विश्व एटीएस चीफ की चूक को देख रहा था विश्व पटल पर देश की छवि को किरकिरा करने में इलेक्ट्रानिक मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी है वहां गोली लगी उनकी जान गई और ये लाइव दिखा रहे हैं ये तो वही बात हुई की ''किसी की जान गई और इनकी अदा ठहरी''
2 Comments