शबनमी बारिश की बूंदों में आज वो बात नहीं
तन्हाई के वीराने में टपकी चंद बूंदों की कोई बिसात नहीं...
कमी बादलों के बरसने में नहीं
अबकी बारिश में उनका साथ नहीं..
बरसे तो उनके नैना थे उस बारिश वाली रात
इन बूंदों में वो जज्बात नहीं
रूह में घुली उस बारिश का असर क्या कहूं यारों
कि खाली पैमाने में भी जैसे नशे का कोई हिसाब नहीं
तब हिजाब नहीं था रुख पे उनके
आज प्यार छलका दें जितना
उनकी आंखों में वो बरसात नहीं...
बरसते इन बादलों में प्यार के नम ओस जैसी कोई सौगात नहीं
महबूब बिन शोलों सी तपती है बूंदें
उनका हाथ हाथों में हो तो बरसते शोलों से भी ऐतराज नहीं
काश दिल के आईने में मेरा अक्स देख पाते
हर कतरा उनके लहू का कहता मेरी आशकी का कोई जवाब नहीं...
कैसे भीगू इस बारिश में ये भी मुह चिढ़ाती है
कि आज उनका साथ नहीं...
बेमानी लगती है ये खनकती बूंदें
कलाम भी अब कलम में नहीं आते
ये भी है मुमकिन इस स्याही में वो जात नहीं
भिगो दे जो रूह को मेरी नहीं...नहीं ये वो बरसात नहीं... आवारा
तन्हाई के वीराने में टपकी चंद बूंदों की कोई बिसात नहीं...
कमी बादलों के बरसने में नहीं
अबकी बारिश में उनका साथ नहीं..
बरसे तो उनके नैना थे उस बारिश वाली रात
इन बूंदों में वो जज्बात नहीं
रूह में घुली उस बारिश का असर क्या कहूं यारों
कि खाली पैमाने में भी जैसे नशे का कोई हिसाब नहीं
तब हिजाब नहीं था रुख पे उनके
आज प्यार छलका दें जितना
उनकी आंखों में वो बरसात नहीं...
बरसते इन बादलों में प्यार के नम ओस जैसी कोई सौगात नहीं
महबूब बिन शोलों सी तपती है बूंदें
उनका हाथ हाथों में हो तो बरसते शोलों से भी ऐतराज नहीं
काश दिल के आईने में मेरा अक्स देख पाते
हर कतरा उनके लहू का कहता मेरी आशकी का कोई जवाब नहीं...
कैसे भीगू इस बारिश में ये भी मुह चिढ़ाती है
कि आज उनका साथ नहीं...
बेमानी लगती है ये खनकती बूंदें
कलाम भी अब कलम में नहीं आते
ये भी है मुमकिन इस स्याही में वो जात नहीं
भिगो दे जो रूह को मेरी नहीं...नहीं ये वो बरसात नहीं... आवारा
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