मेरी आवारगी

फुलौरी को चाची चाहिए...।

फुलौरी अब बड़े हो चले हैं, पैर भी जमकर थिरकने लगे हैं इनके। 'गंदी बात' पर बहुत अच्छे ठुमके लगाते हैं। संगीत प्रेमी होने के नाते छुटकू उस्ताद को नृत्य का भी शौक हो चला है। अब ऐसे में चाचू की शादी में नाचना तो बनता है भई। ''शुद्ध बघेली मा कही ता लौंडा चौकस है। चा चा चा  करते हुए ची ची ची भी उचारने लगा है। कुल जमा चाचा सोचेन कि चा औ ची मिला दीन जाय चाची होई जई। ता फुलौरी की चाहत मा भैया हरो चाची के खोज शुरू होई गे ही। फुलौरी की ओर से आप सबसे सहयोग आपेक्षित है काहे से कि प्यार-मोहब्बत बहुत भे। अब डरेक्ट शादी करब हो, ओखे बाद होत रही जौन होंय खां होई। हमार छुटकू यहे कहिस कि काकू तुंहार शादी मा 'गंदी बात' मा नाचन के मन है।''
औ बाकी लौंडे जितना चाचा भी होनहार है। लड़का दिल का अच्छा है बस खुद को आवारा कहता है सो अब दुनिया भी आवारगी को बुलंद कर रही है। पुराना नशेबाज है, लेकिन फरेबी नहीं है। आवारगी में झूमता है, दिलों में रहता है। कागज के नोटों से परहेज सा है, इश्क की दौलत से मलामाल है। अंदाज अजीब सा है, शब्दों के धंधे में है। बस दिन-रात कागद कारे करता रहता है। पढ़ा-लिखा नहीं है, क्योंकि जिन्दगी की पाठशाला में फेल होता आया है। हमेशा किसी सफर में होने की बात करता है, लेकिन अभी तक उसके ठिकाने पर नहीं पहुंचा है। हर शहर दर-बदर इश्क़ की गर्दओ-ख़ाक छानता फिरता है। कोई तैयार हो सुशील सुन्दर कन्या तो सीधा सम्पर्क कर सकती है।
नॊट: कृपया इसको ज्यादा सीरियस न लें। बच्चे की मोहब्बत में चाचा के अरमान और भैया-भाभी का रातभर दिया गया ज्ञान निकल गया शब्दों के सहारे। अब अपनी किससे कहें कि आवारगी में पहरा नहीं बिठाया जाता, आवारा फिर सांस कहां ले पाएगा।

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