पंकज शर्मा |
एक चिट्ठी बापू के नाम....
बापू.......अब समझ में आता है कि तुम क्यों चाहते थे कि आज़ादी के बाद कांग्रेस पार्टी को खत्म कर देना चाहिए....बापू अब समझ में आता है कि तुमने स्वराज के लिए कौन सा रास्ता चुना था....बापू अब समझ में आता है कि जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा था...तुम दिल्ली से दूर..एक अंधेरे कोने में खामोश क्यों बैठे थे....बापू सच में तुम महात्मा थे.....तुम दूर की सोच रखते थे....बापू तुमने कहा था कि कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए...क्योंकि स्वतंत्रता संग्राम से निकले नायकों के मन में ये बात आ सकती थी कि हमने देश के लिए इतना किया...बापू तुम तो ये भी चाहते थे कि स्वतंत्रता संग्राम से निकले लोगों को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए...नए लोग आएं और चुनाव लड़ें, एक लोक सेवा दल बनना चाहिए...बापू निश्चित तुम्हारे मन में ये बात रही होगी कि स्वतंत्रता संग्राम से निकले लोगों की छवि देश में नायक की रही है...तो वो उसका लाभ सत्ता के लिए न करें...बापू...तुम्हारा ये सोचना ही देश को स्वराज की तरफ ले जाने के लिए काफी था....और जब तुमने नेहरू को शपथ लेते देखा तो तुम स्वराज के सपने को सत्ता के विशालकाय अहंकार के नीचे कुचलते देखने से पहले दिल्ली से दूर चले गए....
बापू...कल तुम बहुत याद आए...जब सत्ता के लिए तुम्हारे पोते राजमोहन को तुम्हारा नाम इस्तेमाल करते देखा....बापू...तुम्हारे पोते ने दिल्ली में पोस्टर लगाए हैं कि महात्मा गांधी के पोते को वोट दें....बापू....तुम्हारा वो बेटा याद आ गया...जिसे तुमने अपने नाम का इस्तेमाल नहीं करने दिया था....और जो दिल्ली में रेलवे स्टेशन के पास मरणासन्न मिला था...तुम्हारी मौत के कुछ दिनों के बाद ही....उफ्फ बापू कितना ऊंचा आदर्श था तुम्हारा...बापू वो कहानी याद आती है जब एक लड़के को गुड़ खाने से रोकने की सलाह देने के लिए तुमने कई दिन लगा दिए थे....क्योंकि तुम खुद गुड़ खाते थे....और झूठ नहीं बोलना चाहते थे...जब खुद छोड़ दिया...तब लड़के से गुड़ छोड़ने को कहा....आह बापू....वैसे तो हर राजनीतिक दल का चरित्र हिंसा के रंग में डूबा है...लेकिन तुम्हारे पोते को हिंसक कार्रवाई करने वालों का साथ देते देखा तो दुख हुआ बापू.....बापू तुम तो एक थप्पड़ के बाद दूसरा गाल आगे करने की बात कहते थे....तुम्हारे पोते ने तो उनका साथ दिया जो एक दूसरे दल के कार्यालय पर प्रदर्शन करने आए थे....चलो मान लेता हूं बापू कि पहले हमला दूसरे दल के कार्यकर्ताओं ने किया....लेकिन हमले का जवाब हमले से देने वाले दल का समर्थन तुम्हारा पोता करे...तो दुख होता है...तुमने तो हिंसा के चलते अपने न जाने कितने सत्याग्रह अधूरे छोड़ दिए थे.....बापू....तुम्हारा पोता झूठ बोल रहा है....बापू तुम्हारा पोता..हिंसा के साथ खड़ा है...बापू...तुम्हारा पोता..राजनीतिक लाभ के लिए तुम्हारे नाम का इस्तेमाल कर रहा है....बापू...बुरा लगता है....माफ करना बापू...
-पंकज शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, आज तक, नई दिल्ली
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