साभार ; गूगल |
मैं चाहता था तुझसे राब्ता ख़त्म कर लूँ
फूँक दूँ ज़ेहन का नशेमन भी
काट डालूँ मैं रगें निस्बत की
जला डालूँ मैं वो लचकते पुल
जो दिल से दिल तलक पहुंचते हैं
एक अजब शाम इसी कोशिश में
मैंने ई-मेल सब डिलीट किए
ताकि अल्फ़ाज़ तेरे मर जाएँ
मिटा डाले सभी व्हाट्सअप मैसेज
ताकि हर हर्फ़ तेरा मिट जाए
मैंने फेसबुक अकाउंट बंद किया
ताकि रिश्ते का गला घुट जाए
छोड़ दी ट्विट करने की आदत
ताकि भूले से कुछ न याद आए
पड़ा रहा मैं महीनों अंधेरे कमरे में
किसी भी चीज़ के बारे में कुछ नहीं सोचा
न कोई चेहरा, न आँखें, न कोई ताज़ा लब
किसी तरह की भी सूरत नहीं नज़र आई
बाद मुद्दत के मगर बात ये समझ आई
मैं कहीं हूँ, कोई हाल, कोई मौसम है
तुझी से वाबस्ता मेरी हर धड़कन है
- त्रिपुरारि कुमार शर्मा
फूँक दूँ ज़ेहन का नशेमन भी
काट डालूँ मैं रगें निस्बत की
जला डालूँ मैं वो लचकते पुल
जो दिल से दिल तलक पहुंचते हैं
एक अजब शाम इसी कोशिश में
मैंने ई-मेल सब डिलीट किए
ताकि अल्फ़ाज़ तेरे मर जाएँ
मिटा डाले सभी व्हाट्सअप मैसेज
ताकि हर हर्फ़ तेरा मिट जाए
मैंने फेसबुक अकाउंट बंद किया
ताकि रिश्ते का गला घुट जाए
छोड़ दी ट्विट करने की आदत
ताकि भूले से कुछ न याद आए
पड़ा रहा मैं महीनों अंधेरे कमरे में
किसी भी चीज़ के बारे में कुछ नहीं सोचा
न कोई चेहरा, न आँखें, न कोई ताज़ा लब
किसी तरह की भी सूरत नहीं नज़र आई
बाद मुद्दत के मगर बात ये समझ आई
मैं कहीं हूँ, कोई हाल, कोई मौसम है
तुझी से वाबस्ता मेरी हर धड़कन है
- त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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