मेरी आवारगी

देवास के 'टकसाल' की कहानी

वरिष्ठ पत्रकार : ब्रजेश राजपूत
ग्राउंड रिपोर्ट @ ब्रजेश राजपूत
ये नोट बनाना नहीं आसान उर्फ बीएनपी देवास
आठ नबंवर की सुबह आम सुबह जैसी ही थी। आठ साढे आठ बजे से ही दफतर से फोन आने लगे थे क्या क्या स्टोरी दे रहे हो कब तक दे दोगे सरीखी रोजमर्रा की पूछताछ। मगर नौ बजे दफतर के एक वरिप्ठ साथी ने पूछा। यार एमपी में देवास की नोट प्रेस में जरा पूछो कि इन दिनों वहां क्या हो रहा है। पुराना काम चल रहा है या फिर कुछ नया काम आया है। यदि कुछ बेहतर जानकारी मिले तो चले जाना। जैसा कि हम भी थोड़ा बहुत बीएनपी देवास यानि कि बैंक नोट प्रेस देवास के बारे में जानते थे कि वित मंत्रालय के अधीन उस प्रेस में बीस पचास सौ ओर पांच सौ के नोट छपते थे। हमने बताया कि उस संस्थान में सुरक्षा कारणों के चलते दूर दूर तक कवरेज की इजाजत नहीं है। वरिप्ठ अधिकारी बात नहीं करते। कर्मचारी भी मुंह सिये रहते हैं बोलने के नाम पर सिर्फ कर्मचारी यूनियन के नेता ही बात करते हैं और वो भी अपनी सहूलियत के हिसाब से थोडी बहुत जानकारी देते हैं या फिर आपकी जानकारी की पुष्टि या खंडन करते हैं। मगर आदेश था कि देवास प्रेस की कुछ अंदर की जानकारी जुटाओ। ऐसे में हमने अपने देवास के संवाददाता नितिन गुप्ता को फोन लगाया यार जरा पता करो क्या नया हो रहा है देवास की प्रेस में। वही जबाव नितिन का था सर लोग वहां आसानी से बोलते नहीं फिर भी कोशिश करता हूं। कुछ पुख्ता जानकारी मिलेगी तो आपको बताउंगा।
दोपहर में एक दो बार नितिन का फोन बजा और कुछ जरूरी व्यस्तताओं के कारण फोन जब उठाया नहीं तो उसने एसएमएस किया। बीएनपी में सब कुछ रूटीन के हिसाब से ही चल रहा है कुछ नया नहीं है मगर पांच सौ के नये नोट की एक नयी डिजाइन आयी है जो थोड़ी हटकर है। खबर ये भी है की दो हजार का नया नोट मैसूर के प्रेस मे छप रहा है बस फिर क्या था मैंने उसे पलटकर फोन लगाया यार ये नयी डिजाइन क्या है। उस पर नितिन ने बताया कि नोटों में बदलाव के लिये नयी डिजायन आती रहती है। सिक्योरिटी फीचर में बदलाव के लिये भी ऐसी कोशिश की जाती रहीं हैं। इसलिये कोई गंभीर मामला लग नहीं रहा और फिर आप जानते हैं कर्मचारी ज्यादा बोलते बताते नहीं हैं। आप बताइये कुछ करना हो तो। पूरा यही जबाव मैंने अपने दफतर में आगे बता दिया। खबरों की भीड़ में ये जानकारी छिप गयी मगर आठ नबंवर की रात नौ बजे जो हुआ वो इतिहास है।
काम-काज निपटा कर घर पहुंचा ही था कि दफ़्तर का फोन बजा। पीएम मोदी ने नोटबंदी का ऐलान कर दिया था और अब जनता का रियेक्शन चाहिये। बस फिर क्या था आठ नबंवर की रात है और आज 11 दिसंबर की सुबह है। पूरे एक महीने से हम सब टीवी चैनलों के रिपोर्टर नोटबंदी से जुडी खबरें ही लगातार कर रहे हैं।
एक महीने पुरानी इस नोटबंदी ने बहुत सारी चीजों की कदर और कीमत समझा दी है उसमें सबसे खास है करेंसी यानि कि नोट। अब तक हम नोट को यूं ही जेब में रखकर घूमते थे मगर नोटबंदी के बाद समझा नोट क्या होता हैं। हांलाकि बाप बड़ा ना भैय्या सबसे बड़ा रुपैया गाना तो बचपन से गाया है पर जब आपके पास रखे नोट कागज बन जाये और नये नोटों के लिये लाइन में लग कर मारामारी करनी पड़े तो समझ आयी कि नोट चीज है क्या चीज। नोटां की इस किल्लत में एक दो बार देवास जाना पड़ा और जाना कि नोट बनाने का काम आसान नहीं है। जिसे हम देवास नोट मुद्रणालय या बैंक नोट प्रेस देवास के नाम से जानते है असल में उसका पूरा नाम भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड अंग्रेजी में कहें तो सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड है। करीब पौने दो सौ एकड़ में फैले इस संस्थान की शुरुआत 1974 में की गयी थी। पहले यहां पर तीन हजार कर्मचारी काम करते थे जो अब घटकर तेरह सौ ही रह गये है। शहर के लोग पहले इसे टकसाल कहते थे। टकसाल यानि कि जहां पर सिक्के ढाले जाते हैं मगर अब यहां पर सिर्फ नोट छपते हैं बीस पचास सौ और पांच सौ के। नोटबंदी के कुछ दिन पहले से यहां पर सिर्फ और सिर्फ पांच सौ का नया नोट ही छप रहा है जिसकी डिजायन की खबर हमें लग गयी थी। बीएनपी की खास बात ये है कि नोट छापने की आफसेट स्याही भी अंदर प्रेस में ही बनती है।
बीएनपी के कर्मचारी नेता प्रदीप सांगले बड़ेे गर्व से बताते हैं कि इन दिनों हम पर बड़ी जिम्मेदारी है पांच सौ के नोट छापने की। तीन पालियों में चौबीस घंटे और सातों दिन काम चल रहा है। लंच के लिये भी हम एक साथ नहीं जाते। कुछ कर्मचारी जाते हैं तो दूसरे उनका काम संभालते रहते हैं। जब वो वापस आ जाते हैं फिर बाकी के लोग जाते हैं। सारी छुटिटयां बंद हैं। देवव्रत जोशी सरीखे पचास से ज्यादा रिटायर्ड कर्मचारियों को दोबारा काम पर बुला लिया है। नाम ना छापने की शर्त पर एक पुराने कर्मचारी ने बताया कि यहां पर काम करना आसान नहीं है पूरे वक्त अलर्ट रहना पडता है। नोट का कागज कटे नहीं फटे नहीं स्याही फैले नहीं कोई शब्द छूटे नहीं इसका बहुत ध्यान रखना पड़ता है। साथ ही जो मुख्य प्रिटिंग यूनिट होती है वहां पर कपड़े उतार कर ही काम करना पड़ता है। वहां पहनने वाले नाम मात्र के कपड़े अंदर प्रेस से ही मिलते हैं जो बेहद पारदर्शी होते हैं। कोई कुछ लुका और छिपा नहीं सकता। बहुत सख्त जांच के बाद मुख्य यूनिट से अंदर और बाहर होना पड़ता है। इस यूनिट से बाहर निकलने के बाद ही हमें खुली हवा मिलती है। ऐसा लगता है कि सख्त पहरे वाले जेल में हम काम कर बाहर निकले हैं।
संस्थान के सबसे पुराने कर्मचारी और नेता एलएन मारू कहते हैं कि इन दिनों हम सब देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत है देश में नोटबंदी के बाद हुयी नोटों की किल्लत को खत्म करने का जिम्मा हमारा ही है।  मारू बताते हैं कि इन दिनों यहां पर हम एक से डेढ़ करोड़ नोट रोज छाप रहे हैं जिसे बढ़ाकर पांच करोड़ रोज तक करना है। इस करेंसी को टक टेन और वायुसेना के हवाई जहाजों से देश के दूसरे हिस्से में भेजा जा रहा है। बीएनपी के अंदर ही रेल की लाइन बिछी है बहुत ही सावधानी और सतर्कता से इन नोटों का परिवहन होता है। देवास के लोग भी बीएनपी के कर्मचारियों के हौसले को सलाम करते हैं। बीजेपी के स्थानीय नेता महेंद्र चौहान उर्फ प्रिंस कहते हैं कि देवास में गर्व करने की बहुत सारी जगह है जिनमें से बीएनपी भी एक है इन दिनों पूरे देश की निगाहें बीएनपी पर है और हो भी क्यों नहीं। पांच सौ के नोटों की तंगी दूर जो करनी है।
नोटः यह चिट्ठा वरिष्ठ टीवी पत्रकार ब्रजेश राजपूत जी की फेसबुक वॉल से यहाँ साभार बिना संपादन के  चस्पा किया गया है। इससे जुड़े किसी भी तरह के वाद-विवाद मेरी आवारगी के अधिकार क्षेत्र में नहीं आएंगे।

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