मेरी आवारगी

विमुद्रीकरण पर आशुतोष राणा का पोस्ट

ASHUTOSH  RANA 
मैं दो हज़ार के नोट के कारण दवाई की दुकान से भगा दिया गया था। माँ को तेज़ बुखार था वे स्वाँस की मरीज़ थीं, बुरी तरह खाँस रहीं थी। डॉक्टर बोला चिंता की बात नहीं है वाईरल है और लंग्स में कफ़ जमा है, पाँच दिन की दवाई दे रहा हूँ।ठीक हो जाएँगी। अन्य देशों की अपेक्षा अपने देश में दुआ,दवा,दारू और इलाज सस्ता है, इसलिए हर गली नुक्कड़ पर दवा,दारू की दुकान, दवाखाने व दुआ देने वाले भिखारी मिल जाएँगे। पूरी दुनिया हमारी cheapness को appreciate करती है इसलिए हम लोगों को हर हफ़्ते दवाखाने में खड़े होना अखरता नहीं है Because doctor is cheap patient is cheap and treatment is very cheap और डॉक्टर साब भी सिर्फ़ हफ़्ते भर का इलाज करके मरीज़ को Temporary relief देते हैं गाड़ी स्टार्ट करके कोरबोरेटर में थोड़ा सा कचरा फसा रहने देते हैं ताकि मेल जोल बना रहे..और जल्दी ही मिलते हैं, Get well soon की शुभकामनाओं के साथ मरीज़ को विदा कर देते हैं । दवाई कुल ३७० रुपये की थी .. सो दो हज़ार का नोट देख दुकानदार ने कहा की, सब छुट्टे तुमको दे दूँगा तो बाक़ियों का क्या होगा ? सिर्फ़ अपना सोचते हो। देश के और लोगों की चिंता नहीं है ? मैंने मिन्नत करते हुए कहा कि भाईसाब माँ बीमार हैं दवाई बहुत ज़रूरी है । वे बोले यहाँ जो भी आता है वो बीमार ही होता है ये कोई इंडिया गेट नहीं है की गुलछर्रे उड़ाने चले आए। time ख़राब मत करो हमारा। पुराना ५०० का हो तो दे दो..हम चला लेंगे । मैंने कहा मेरे पास होता तो दे नहीं देता? कुल जमा इतना ही है। वे बोले तो ऐसा करो पूरे २००० की ले लो। मैंने कहा आप भी कमाल करते हैं जब दवाई ३७० की है तो २००० की क्यों लूँ? वे बोले.. तो दवाई के अलावा पेस्ट कंघी साबुन तेल शैम्पू भी ले लो आख़िर घर में लगता तो होगा..बच्चों के लिए गोली बिस्कुट चाकलेट भी दे देंगे आ जाएगी इतने में। मैंने कहा अच्छा और हफ़्ते भर क्या करूँगा ? पूरा हफ़्ता निकालना है इतने में । वे बोले तो फिर भगो यहाँ से.. एक तरफ़ वो लाल हैं जो माँ के लिए अपना जीवन लुटा देते हैं एक तरफ़ तुम जैसे हैं जो अपनी माँ के लिए २००० का नोट लुटाने में पुकपुका रहे हैं। तुम माँ के लाल कहलाने लायक नहीं हो । तुम जैसे कुपूतों को सुधारने के लिए ही ये व्यवस्था बनानी पड़ी, या तो छुट्टा ३७० लाओ, नहीं तो पूरे की दवाई लो। मैं हताश होकर आगे बढ़ गया मन में खिन्नता थी की कितनी आसानी से इन्होंने ३७० कह दिया, इनके लिए ३७० कहना जितना सरल मेरे लिए ३७० का इंतज़ाम करना उतना ही कठिन था, माँ तब तक ठीक नहीं होंगी जब तक ३७० का जुगाड़ ना हो जाए। उधर से पत्नी ने मोबाइल पर फ़ोन करके कहा की माँ का बदन तप रहा है वे जल रहीं हैं तुम कहाँ हो ? दवाई लाने का कहके गए थे, अभी तक चंपत हो।कहीं सैर पे तो नहीं चले गए ? बुरा मत मानना तुम्हारी आदत है इसलिए कह रही हूँ। घर में तुम्हारा मन लगता नहीं हमेशा बाहर भागने की पड़ी रहती है, तो सोचा पूछ लूँ की दवाई लाने के नाम पे तुम अपने यार दोस्तों से मिलने भ्रमण पे तो नहीं निकल गए ? मैंने कहा ऐसा नहीं है दवाई वाले ने छुट्टा ना होने के कारण दवाई देने से इंकार कर दिया सो छुट्टे की जुगाड़ में लगा हूँ। पत्नी ने तिरस्कार के स्वर में कहा की जब इतना बड़ा नोट तुमसे चलता नहीं है तो ले क्यों आए उसे ? आदमी को अपनी औक़ात के हिसाब से नोट रखना चाहिए लेकिन नई तुमको तो अपनी शान दिखानी होगी बाज़ार में,की देखो मेरे पास भी नया नोट है..अरे छुट्टा ले लेते बैंक से ? माँ को कोई कैन्सर तो है नहीं जो तुम दो हज़ार का नोट ले आए। वाईरल है मौसमी बुखार मौसम बदलता है तो ताप आ जाता है उनको, दो पाँच सौ में दवा आ जाती। लेकिन नई तुमको बीमारी के उपचार में नहीं उसके प्रचार में ज़्यादा रुचि है। ये कह के उसने फ़ोन कट कर दिया। मेरी चिंता बढ़ गई क्योंकि पत्नी सही बोल रही थी,इतना बड़ा नोट होने के बाद भी मेरी हालत भिखारियों जैसी थी, पैसे होना ना होना बराबर था। मैंने आसपास की दुकानों से छुट्टा लेने के लिए ट्राई किया..मेरे हाथ में २००० का नोट देखते ही दुकानदार मुझे भगा देता, कुछ ने दूर से ही दोनो हाथ जोड़ के मना किया तो कुछ मुझे देख खिलखिला के हँसने लगे.. मैं बहुत व्यथित हो रहा था। मैंने मोटर सायकल में किक मारा और सोचा की इसमें थोड़ा तेल डलवा लेता हूँ तेल भी डल जाएगा और छुट्टा भी मिल जाएगा।पंप पे पहुँचा तो पंप वाले ने पेट्रोल डालने से पहले पूछा पुराना नोट है ? मैंने कहा वो तो बंद हो गए। वो बोला की यहाँ पे वही चलता है और ५०० से कम का नहीं डालूँगा। मैंने कहा ये कहाँ की ज़बरदस्ती है...चुपचाप १०० का पेट्रोल डालो ये लो २००० हज़ार का नोट और १९०० वापस करो । वो बोला ये पंप है छुट्टे की दुकान नहीं। अगर नए नोट को चलाना है तो पूरे २००० का पेट्रोल लो। मैंने कहा तुम पागल हो गए हो क्या? ये मोटर सायक़ल की टंकी है ६,७ सौ में फुल हो जाती है। २००० का कहाँ बनेगा इसमें? वो बोला बाक़ी का केन में ले जाओ। अच्छा है ३ महीने के लिए फ़्री हो जाओगे। मुझे रोना छूटने लगा, मुझे रुआँसा देख वो थोड़ा नरम पड़ा और बोला अगर आज तुम्हारे पास पुराना ५०० होता तो मैं ३०० का तेल डाल के २०० तुमको दे देता, मैं समझ रहा हूँ तुमको पेट्रोल से ज़्यादा छुट्टे की ज़रूरत है। मैंने कहा भाई मेरे..मेरे पास ४ पुराने नोट थे ५०० के, जिनको बड़ी मशक़्क़त के बाद अभी अभी बैंक में बदलकर आया हूँ.. अब पछता रहा हूँ की मैंने पुराने नोट क्यों बदले। वो बोला ऐसे नोट बदल के पछताओगे तो फिर देश कैसे बदलोगे ? तुम ही लोग तो देश भविष्य हो, तुम युवाओं के कंधों पर ही देश टिका है, अच्छा एक काम करो अपना नया नोट मुझे दो.. मैंने उसको २००० का नोट पकड़ा दिया। उसने अपनी गाँठ में से ४ पाँच सौ के पुराने बंद हुए नोट मेरे हाथ में रख दिए मैंने घबराकर कहा ये क्या कर रहे हो ?? वो शांति से बोला धीरज रखो बताता हूँ.. अभी तुम जहाँ से शुरू हुए थे वहीं पे खड़े हो..correct.. अब तुम ईमानदारी से बताओ तुमको कितना छुट्टा चाहिए मैंने कहा पूरे का मिल जाता तो ठीक था । उसने मेरे पापाजी के जैसे आँखों से डाँटते हुए किंतु मुस्कुराकर कहा..लालच नई। सच बोलो .. मैंने कहा मुझे हर हाल में ३७० चाहिए मेरी माँ बीमार है , दवाई ३७० की है ।
वो बोला .. तुम लोगों की यही ग़लती है की तुम सिर्फ़ अपना उल्लू सीधा करना चाहते हो, तुम्हें अपने देशवासियों के बारे में भी कुछ सोचना चाहिए। तुम जैसों के कारण ही ऐसे हालात बने। देखो..लालच भ्रष्टाचार को जन्म देता है, भ्रष्टाचार अन्याय को, अन्याय अराजकता को, अराजकता आतंकवाद को और ये आतंकवाद तुमको ही नहीं हम सब को अंत की तरफ़ ले जाएगा। तुम्हारा लालच हम सबके अंत का कारण बने इससे बेहतर है तुम अपने लालच का अंत कर दो। देखो अब तुम्हारे पास ४ पाँच सौ के नोट हैं।तुम ६०० का तेल डलवाओ और २ पाँच सौ के मुझे वापस दो मैं हज़ार में से ४०० तुमको वापस करूँगा.. तुम्हारी समस्या सुलट गई..correct.. अब बचे तुम्हारे पास २ पाँच सौ के .. राइट ? मैंने हाँ में सर हिलाया वो बड़े वात्सल्य भाव से मुझे देख मुस्कुराया और बहुत लाड़ से मेरी टपली पे हाथ मारा और बोला तुम बहुत भोले हो,बिलकुल क्यूटी पाई .. अच्छा अब इन दो में से १ पाँच सौ दवाई की दुकान पे देना,वो तुमको ३७० की दवाई देगा और १३० रुपया वापस करेगा छुट्टा। अब माँ भी बच गई और तुमको ४००+१३०= ५३० का छुट्टा भी मिल गया अब बचा १ पाँच सौ का पुराना नोट उसको कल बैंक जा के बदल लेना .. तो ५३०+५००=१०३० का छुट्टाऽऽऽऽ ..इससे तुम हफ़्ते भर तक अपने परिवार को बहलाए रख सकते हो वो भी ख़ुश और तुम भी ख़ुश .. हो गयी ना प्रॉब्लम सॉल्व, सिम्पल ..उसने मेरा आत्मबल बढ़ाने के लिए कहा दुखी मत हो तुम युवा हो, ऊर्जित हो, साहसी हो संसार तुम्हारे क़दमों में है मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है ख़ूब नाम कमाओ, जुग जुग जीओ। मैं दवाई लेके प्रसन्नता से फरफ़रता हुआ घर की तरफ़ उड़ चला मन उस पंपवाले की बुद्धि के लिए श्रद्धा के भाव से भरा हुआ था। मेरी MBA की डिग्री उसके नैसर्गिक ज्ञान के आगे फ़ेल थी। मैं अभी तक सिर्फ़ अपने परिवार की अर्थ व्यवस्था को समझता था, किंतु उस पंप वाले ने मात्र ६०० रुपये में व्यवस्था के अर्थ को समझा दिया था कि..जीवन में सफल होने के लिए सिर्फ़ तेल लगाना ही नहीं तेल निकालना भी आना चाहिए।~आशुतोष राणा / शुभम भवतु 🙏😊🌹



नोटः यह चिट्ठा विमुद्रीकरण पर आशुतोष राणा  का पोस्ट है, जो उनकी फेसबुक वॉल से साभार यहाँ चस्पा किया गया है।  






















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