मेरी आवारगी

*हम-तुम*

फ़ोटो हमारे झुनझुने से। 

                            *हम-तुम*

हम-तुम सदा यूं ही खिले रहेंगे एक डाल पर। खुली हवा में, गुनगुनी धूप में और खुले आसमान से गिरती ओस की बूंदों के बीच। कभी-कभी लगता है कि जैसे कतरा-कतरा आसमान से टपकती हो जिंदगी और इन्हीं फूलों में खिल जाती हो, कितनी सुंदर, खुशबूदार, खुशगवार और गुलज़ार। तुम्हारा साथ भी कुछ ऐसा ही है। तुम्हारे होने से ही तो इस एक डाल पर खिला हूँ मैं। तुम्हारे बिना मेरा खिलना मुमकिन नहीं। तुम वो ओस की बूंद हो जिसने मुझे सींचा है, जो मेरी पंखुड़ियों पर धूप में सोने सी चमकती हो। मैं किसी माली के बगीचे में खिला फूल नहीं हूँ। न जाने कब का इस डाल से  टूटकर गिर जाता, लेकिन एक तुम्हारी चाह में किसी खण्डहर के बीच पड़े सूखे गमले में भी खिल गया हूँ। तुम्हें पता है न मैं इस डाल पर बस तुम्हें अपलक निहारने के लिए ही खिला हूँ।मेरी एक-एक पंखुड़ी और उसकी खुशबू झड़ जाने तक तुम्हारे साथ रहेगी। तुम हो तो मैं सदा यूं ही महकता रहूंगा। इस डाल से सूखकर गिर भी जाऊँ, तो तुमसे अलग नहीं हो पाऊंगा। सूख जाने के बाद टूटकर मैं इसी पौधे के नीचे दफन हो जाऊंगा....मैं फिर खिलूंगा, जब तुम नूर बनकर बरसोगी आसमान से कतरा-कतरा जिंदगी। बस उसी एक डाल पर फिर से तुम्हारे साथ महकने के लिये।

जीवन के एक और साल साथ महकने के लिए शुक्रिया Namita Shukla।

@ तुम्हारा आवारा।

आप सब भी महकते रहें। आबाद रहें। सभी को नया साल मुबारक।

अपनी वाल से फेसबुक का एक पुराना पोस्ट। 

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