फ़ोटो साभार: गूगल बाबा |
शिव अनंत हैं
वो जितने सरल हैं
उससे कहीं ज्यादा गूढ़ भी हैं
वो औघड़ हैं, अविनाशी हैं।
वो प्रेमी हैं, सन्यासी हैं।
वो मतवाले और निराले हैं।
वही हलाहल गरल पिएं।
और वही सृष्टि संहार करें।
वही प्रेम का पूरक हों
अर्धनारीश्वर अवतार धरें।
अपनी जटा पर गंगा समाये।
मानव का उद्धार करें।
शिव ही शक्ति के साध्य रहे
जन-जन के आराध्य रहे।
महादेव हैं, धूनी रमायें
कभी चिता की भस्म लपेटें
कभी डमरू से हैं नाद करें।
प्रेम का ऐसा अलख जगाया
शिव में सारा जगत समाया
चेतन से अवचेतन तक
हर कंकड़ में शिव वास करें।
वही सनातन, वही नित्य हैं।
शिव ही सुंदर, शिव ही सत्य हैं।
- 21 फरवरी 2020
© दीपक गौतम
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नमः पार्वती पतये हर-हर महादेव
महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं।
नोट ; यह कविता प्रतिष्ठित वेब पोर्टल मीडिया स्वराज
और मध्यमत में प्रकाशित हो चुकी है।
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