फ़ोटो साभार : गूगल
ये राजनीति है...राजनीति !!
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ये राजनीति का सर्कस है।
यहां कोई किसी का सगा नहीं।
कितना भी ओछा कर लो।
कुछ भी कर लो यहां दगा नहीं।
नेता जी ने तो ठगा नहीं।
ये राजनीति है राजनीति,
जनसेवा यहां बची नहीं।
इस दल में मिलना, उसमें घुलना।
कोई विचारधारा यहां मरी नहीं।
बस मौकों का है खेल यहां।
जनता की किसी को पड़ी नहीं।
ये राजनीति है राजनीति,
जनसेवा यहां बची नहीं।
सत्ता के गलियारों में,
कुर्सी का तमाशा जारी है।
जनादेश बस ताक पर है,
महत्वाकांक्षा भारी है।
जनसेवा के नाम पर,
ये जनता को छलने की तैयारी है।
आम आदमी की तकलीफों से,
नेता जी के अरमाँ भारी हैं।
कुछ भी कर लो यहां दगा नहीं।
ये राजनीति है राजनीति,
जनसेवा यहां बची नहीं।
कल इसकी थी, अब उसकी है।
सरकार कहाँ तुम्हारी है ?
हर दल से इनकी यारी है।
सत्ता के दंगल में राजनीति ही जीती है।
जनता तो हमेशा हारी है।
कुछ भी कर लो यहां दगा नहीं।
ये राजनीति है राजनीति,
जनसेवा यहां बची नहीं।
आदर्श यहां बस,
तख्ती पर टांगे जाते हैं।
जनता से किये वादे,
नेताओं के बाड़े में कुम्हलाते हैं।
मूल्यों का तो बस रोना है,
संविधान यहां खिलौना है।
कुछ भी कर लो यहां दगा नहीं।
ये राजनीति है राजनीति,
जनसेवा यहां बची नहीं।
बस एक कुर्सी की खातिर,
सीने पर ख़ंजर भोके जाते हैं।
जनसेवा तो एक बहाना है,
वाकई में इसका पता नहीं।
कुछ भी कर लो यहां दगा नहीं।
ये राजनीति है राजनीति,
जनसेवा यहां बची नहीं।
©आवारा
11/3/2020
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