-: संजय उवाच :-
प्रश्न : हे संजय, इस समय राजनीति में क्या चल रहा है ?
उत्तर : राजन, मैं देख रहा हूँ कि कोरोना काल में राजनीति तो आपके पक्ष में ही है. क्योंकि ये 2020 का वर्ष कोरोना, अम्फन, निसर्ग, बाढ़, बारिश और टिड्डी जैसी न जाने कितनी विपदाएं अपने गर्भ में लिए है. ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं का उचित प्रबंधन करना ही आपको नायक बनाये रखेगा. इसलिए इसमें सरकार की जगह सोनू सूद जैसे प्राणियों को अवसर नहीं मिलना चाहिए. ये सब लोग विपत्ति को अवसर में बदल रहे हैं. आपकी छवि को प्रभावित करते दिख रहे हैं प्रभु. वे केवल कुछ हजार श्रमिकों को लॉकडाउन में घर पहुंचाकर स्वयं को वास्तव में नायक समझ रहे हैं. परन्तु आपने लाखों श्रमिकों को उनके गृह राज्य पहुंचाया है, जिसका उल्लेख संचार माध्यमों ने कम ही किया है. उस समय तुलनात्मक रूप से श्रमिकों की विभीषिका का ही वर्णन अधिक किया गया है. आपके यश पर डाका डालने का प्रयास हो रहा है. आत्मनिर्भर बनने के मंत्र एवं आर्थिक पैकेज से ज्यादा चर्चा ऐसे प्राणियों की शुरू हो रही है. मेरी दृष्टि जहां भी जा रही है, कुछ मुट्ठी भर लोग बिना सामर्थ्य के भी जन सहयोग से श्रमिकों की लगातार मदद कर रहे हैं. इसका दुष्प्रभाव यह हो रहा है कि सरकार के प्रयासों को प्रजा कम करके आंक रही है. कुछ राज्यों के आगामी उपचुनावों पर भी इसका असर पड़ सकता है.
प्रश्न : तुम अनर्गल वार्तालाप कर रहे हो संजय ? हमने तो पहले ही इस विपदा से निपटने के लिए जनसहयोग का आह्वान किया था, तो भला इसमें प्रजा को क्या दुविधा होगी ?
उत्तर : राजन, आप समझने का प्रयत्न ही नहीं कर हैं. राष्ट्र के अंदर वर्तमान में सोनू सूद के कार्य एक नेक विचारधारा की तरह लाखों लोगों के मस्तिष्क में दौड़ रहे हैं, जिन्होंने पीएम केयर्स में फंड न देकर सीधा काम किया. नागरिकों को लग रहा है कि महामारी के समय दिये दान से तो बेहतर था कि वे अपने रुपयों को सीधे जरूरतमंदों के लिए खर्च करते. वे इस दुविधा में भी हैं कि उनके दिये धन का कोई लेखा-जोखा साझा नहीं किया जा रहा है. नागरिक रुपया देकर ठगा महसूस कर रहे हैं . बीस लाख करोड़ी आर्थिक बूस्टर पैकेज और आत्मनिर्भर बनने के मंत्र से आपका प्रभाव तो बढ़ा है, किंतु अनलॉक 1 के पश्चात से आपके प्रसाशन को लेकर प्रजाजन का विश्वास घटा है. मुझे यह बड़ा संकट दिखाई दे रही है राजन। इस सबके बीच निकट समय में हो रहे उप चुनावों में विपक्षी पार्टियां कोरोना काल के कुप्रबंधन और करोड़ों रुपये के इस फंड को लेकर गहरा प्रहार करने का मन बना चुकी है.
प्रश्न : तुम नाहक चिंता कर रहे हो संजय. इसे छोड़ो, मध्यप्रदेश के उपचुनावों को लेकर तुम्हें क्या दिख रहा है?
उत्तर : महाराज, आप तो जानते ही हैं कोरोना काल के विदा लेने तक हर चुनाव सोशल मीडिया या इंटरनेट पर संचार के अन्य ऑनलाइन माध्यमों से ही लड़ा जाएगा. अब डोर टू डोर नहीं मोबाइल टू मोबाइल कैंपेन से प्रचार कार्य होगा. अभी भीड़ एकत्र करना तो सम्भव नहीं है. सारी सभाएं और रैलियां डिजिटल ही होंगी. ऐसे में सम्भावनाएं अनंत हैं. सारे आरोप-प्रत्यारोप ट्विटर-फेसबुक पर होंगे. इसके अतिरिक्त मैं आपसे यह कहना चाहता हूं कि देश में जब कोरोना फैल रहा था, तब मध्यप्रदेश में कुर्सी का खेल चल रहा था. इस खींचतान एवं जोड़तोड़ के बाद महाराज की कृपा से जब मामा जी ने कुर्सी सम्भाली तो प्रदेश में कोरोना उन्हें भेंट स्वरूप मिला. आज देश में मध्यप्रदेश कोरोना के सबसे प्रभावित राज्यों में से एक है. अब पुनः: महाराज को इस बार कांग्रेस नहीं भाजपा के लिए प्रदर्शन करना होगा. 24 सीटों में होने वाले उपचुनावों में बसपा के भी कूदने की सूचनाएं हैं, जिससे त्रिकोणीय संघर्ष पैदा हो रहा है. अब जो भी इन उपचुनावों का रण जीतेगा, वही कुर्सी पर बना रहेगा. आप मेरे कम कहे में अधिक समझने का प्रयत्न करें राजन.
प्रश्न : चुनाव प्रचार तो ऑनलाइन हो जाएगा संजय, किंतु मत डालना कैसे संभव होगा ? तुम्हें दिव्य दृष्टि से क्या दिख रहा है ?
उत्तर : राजन, मैं देख रहा हूँ कि सोशल डिस्टेंसिंग के ब्रम्हास्र से ही यह सम्भव हो पायेगा. किंतु इससे भी कोरोना के प्रसार की संभावना अधिक है. क्योंकि इस राष्ट्र में बिना प्रतिबंध के स्व-विवेक से नियम पालन में बड़ी कठिनाई होती है. अब तो अनलॉक 1 का आरंभ हो गया है. इसलिये सामान्य जन से सामान्य ज्ञान के सहित व्यवहार की अपेक्षा कम ही है राजन.
प्रश्न : तुम क्या कहने का प्रयास कर रहे हो संजय ? क्या मध्यप्रदेश में मतदान को लेकर राजनीति होगी ?
उत्तर : राजन, वर्तमान में राजनीति से अधिक प्रभावी राजनेता हैं. राजनीति तो अब वो है जो जनसामान्य को सामान्यतः समझ में न आये. प्रजाजन को समझ न आने वाली विधा ही राजनीत हो गई है प्रभु. लोकतंत्र में हर स्थिति में कुर्सी, सत्ता और शक्ति पाना ही राजनीति है. इसको लेकर तो आपको कोई संदेह नहीं होगा राजन . इसलिये सभी लोकतांत्रिक दल विपत्तियों को अवसर में बदलते हुये राजनीति अवश्य करेंगे राजन.
© दीपक गौतम
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नोट : #संजयउवाच महाभारत के दो प्रमुख पात्रों के सहारे विभिन्न विषयों पर व्यंग्य लिखने की एक कोशिश है। इसका महाभारत से कोई संबंध नहीं है।
यह व्यंग्य मध्यमत और कुसुमा नाम की प्रतिष्ठित वेबसाइट में प्रकाशित हो चुका है।
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