मेरी आवारगी

गांधी की हत्या : नवल शुक्ल

         फोटो : साभार गूगल


गांधी की हत्या

यह कहते ही कि गांधी की हत्या हुई थी
वह रोकते हुए कहता है कि 
गांधी का वध जरूरी था

आप इसे इस तरह समझिए कि
गांधी के बारे में आप जो जानते हैं,वह सही नहीं है
और वध की ओर आपका ध्यान गया ही नहीं है

आप इसे इस तरह समझिए और बताइए कि
गांधी वध की जगह गांधी की हत्या कहना
किन लोगों का षड्यंत्र था

आप इसे फिर इस तरह समझिए कि
आप गांधी को जैसा समझते हैं,सच वैसा नहीं है
इसलिए गांधी वध जरूरी था

आप इसे इस तरह समझिए कि
ईश्वर अल्ला तेरो नाम कहना
और भजन को दूषित करना कितनी बड़ी हिंसा है

आप इसे इस तरह समझिए कि
पीर पराई जानने से क्या मिलेगा
जबकि सब जानते हैं राष्ट्र सर्वप्रथम है

आप इसे इस तरह समझिए कि
जो इस तरह समझने को तैयार नहीं हैं
उन्हें समझाना कितना जरूरी है

अब आप इसे इस तरह समझिए कि
आप अभी भी समझने के समय में हैं
और आप हताश हैं,अकेले हैं और चुप हैं

आप इसे इस तरह समझिए कि
भय आपके पास धीरे धीरे आ रहा है
आप धीरे धीरे मेरे पास आ रहे हैं

आप इसे इस तरह समझिए कि
यह पुण्य भूमि है
यहां निरुद्देश्य वध वर्जित है

मुझसे बात करते हुए शायद वह थक जाता है
सुनते सुनते मैं भी थक जाता हूं
मैं अपने पैरों के पास देखता हूं
यह मेरी भूमि है ,जहां मैं खड़ा हूं
यहां मिट्टी रहती है

© नवल शुक्ल
- 1 फरवरी 2022

नोट : यह कविता वरिष्ठ साहित्यकार नवल शुक्ल जी के फेसबुक पेज से साभार ली गई है। 

Post a Comment

0 Comments