मेरी आवारगी

माँ तो सांसों में बसती है

माँ कों याद करने का एक दिन बनाया गया मदर्स डे। 
वो जो बच्चे की हर आह पे तड़फ उठती है उसकों याद करने का एक दिन ! मेरे हिसाब से सारी उमर कम पडेगी।

माँ तो केवल माँ है। निस्वार्थ जीवन भर अपने बच्चे कों प्यार देने वाली। हर माँ के लिए उसके बच्चे से सुंदरकोई बच्चा इस दुनिया में हो ही नहीं सकता। हमें तो हर वक्त माँ याद आती है,आज उसकी गोद में सोने की इच्छा हो रही है। बहुत दिन हो गए माँ की गोद में 
सर रखकर सोए हुए माँ ।मुझे निदा फाजली की दो लाइनें याद आती हैं।
 
'' मैं रोया परदेश में भीगा माँ का प्यार ,
दिल ने दिल से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार '' 

बस ये दो पंक्तियाँ ही काफी हैं द्रवित कर देने क लिए। माँ का प्यार वास्तव में जिन्दगी की धूप में छाव देने क लिये। माँ के अनेकों रूप हैं। जहां भी निस्वार्थ प्रेम की छाप दिखे समझ लों माँ की मामता किसी ना किसी रूप में बरस रही है।

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3 Comments

सही कहा आपने.
"माँ का प्यार एक चाँदनी, ठंडी- ठंडी छाँव.
सुख सारे इस गोद में, दुःख जाने कित जाए.
mehek said…
bahut sawedanashil likha hai,maa jaise chandani ki thandak,wah,maa sa aur koi nahi hota,bahut khubsurat
Udan Tashtari said…
बिल्कुल सही कह रहे हैं.