मेरी आवारगी

उम्र भर वो सच मुर्दा ही रहेगा.....

दुनिया की गफलत के इतर मेरे जेहन में उम्र भर वो सच मुर्दा ही रहेगा जिसे मैंने बहुत करीब से देखा है. न जाने क्यों वो हर सच जो उसे बेनकाब कर देगा गूंगा हो जाता है उसकी एक मुस्कान के आगे, बहुत ओछी और काली लगती है हर वो सोच जो मुझे उससे दूर कर दे. मै इसलिए फिक्रमंद नहीं क्योकि उसकी आंखों में डूबकर मुझे दुनिया भूल जाती है... फकत इश्क के लिए कुर्बान होना ही जाइज है शायद, अब उसे रूह से कैसे अलग करूं. जो रगों में बह रहा है लहू की तरह...आवारा
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कभी धुंध में भी साफ दिखती तस्वीर आज फिर आंखों से ओझल होती जा रही है। ये मैं नहीं हूं इस धुंध की तरह कोई खयाल है। जैसे फिर खुद से दूर होने को आमादा हूं अब इस धुंध में चलने को तबीयत नहीं करती। जेहन में कुछ मंजर दिन-रात घूमते हैं और दिल सहम जाता है कि वो तस्वीर कुछ पल मुस्कराकर रूठ जाती है हमेशा के लिए। मेरे जेहन से अरसे बाद बाहर आती है, जिंदगी में। संभला था मगर कदमों ने फिर बगावत कर दी है उसी चौखट पर ले आए हैं, सुकून इतना है कि बेइंतहां दर्द में भी मुस्कराने को जी करता है। तेरे पास आकर जीना चाहता हूं पर न जाने क्यों तेरी गोद में सर रखकर मरने को दिल करता है...आवारा
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