मेरी आवारगी

अलविदा अलविदा अलविदा ।

चित्र साभार गूगल बाबा
















ए हवा ए हवा ये बता..... 
ए हवा ए हवा ये बता।
इस फिजा में वो क्यों है घुला।
हां फिर कुछ बहा.... है बहा....है बहा।
अब जेहन दे रहा है दगा,
था अगर कुछ भी तो ये बता....
मैं तुझे छोड़कर क्यों गया,
अब यही है मेरी एक सजा,
रूह से तुम मेरे हो सदा, 
न कोई अब गिला है गिला।
खुश रहो तुम यूं ही बस सदा। 
अपना क्या हम तो हैं बेवफा।
अलविदा अलविदा अलविदा
तुझसे वो जो नया सा मिला,
 तू ही है तू ही ए खुदा।
आवारा मर्तबा...मर्तबा...मर्तबा 
फिर चला...मैं बह चला मैं बह चला।
अलविदा अलविदा अलविदा ।
( मेरी एक पुरानी कविता )

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