मेरी आवारगी

एक पगली लड़की के लिए


चित्र साभार गूगल
तुम देह की नहीं आत्मा की जरूरत हो, तुम्हें ओढ़ने के लिए तुम्हारे जिस्म का लिबास नहीं रूह की रूहानियत का रंग चाहिए, तुम्हारी छुअन जब जेहन का पोर-पोर बहती हवा से महसूस करता है। मुझे यकीन हो जाता है तुम यहीं हो मेरे आस-पास। जितने कम समय में तुमने कजरी आँखों से मेरे मन को छुआ है, उतने समय में तो शायद तुम्हारी आँख का कजरा भी न धुलता होगा। किसी बाग से अलग हो गई सूखी हो चली बेल को हरियाने के लिए जो अमृत चाहिए होता है न , तुम वही हो। जिंदगी के उजियारे के लिए शुक्रिया।

-तुम्हारी याद में आवारा एक शाम

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