ये जफरनामे की एक कॉपी का दृश्य है, जो दीवार के बाहर बड़े चित्र के रूप में उकेरी गई है. इसे गुरुगोविंद देव सिंह ने मुगलों की प्रशासनिक भाषा फारसी में लिखा था, जिसकी शुरुआत कुछ ऐसी थी. ‘‘ कमाले करामात कायम करीम, रजाबख्श रोजी रिहाकुम रहीम, अमा बख्श बख्शंद ओ दस्तगीर, रजाबख्श रोजी देहो दिलपजीर’’ इसका अर्थ है ईश्वर के कमाल से ही सब कुछ चल रहा है, उससे गुजारिश करें तो वो सब माफ करता है, उसी के हाथ में जगत के सारे खेल हैं, वही सबको रोजी देने वाला है. 40 पेज के इस ‘जफरनामा’ की एक और प्रति तब भोज पत्र में संरक्षित की गई थी, जो आज दशमग्रंथ में गुरुगोविंद सिंह के बतौर उपदेश संकलित है. |
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