मेरी आवारगी

हबीब तनवीर की कविता 'रामनाथ'

चित्र साभार ; गूगल / स्वर्गीय हबीब तनवीर
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रामनाथ नें जीवन पाया साठ साल या इकसठ साल
रामनाथ नें जीवन में कपड़े पहने कुल छह सौ गज़
पगड़ी पॉंच, जूते पंद्रह
रामनाथ नें अपने जीवन में कुल सौ मन चावल खाया
सब्‍जी दस मन, 
फाके किए अनगिनत, शराब पी दो सौ बोतल
अजी पूजा की दो हज़ार बार
रामनाथ नें जीवन में धरती नापी
कुल जुमला पैंसठ हज़ार मील
सोया पंद्रह साल.

उसके जीवन में आयीं, बीबी के सिवा, कुल पाँच औरतें

एक के साथ पचास की उम्र में प्‍यार किया
और प्‍यार किया नौ साल
सत्‍तर फुट कटवाये बाल और सत्रह फुट नाख़ून
रुपया कमाया दस हज़ार या ग्‍यारह हज़ार
कुछ रुपया मित्रों को दिया, कुछ मंदिर को
और छोड़ा कुल आठ रुपये उन्‍नीस पैसे का क़र्ज ...
... बस, यह गिनती रामनाथ का जीवन है

इसमें शामिल नहीं चिता की लकड़ी, तेल, कफ़न,

तेरहीं का भोजन
रामनाथ बहुत हँसमुख था
उसने पाया एक संतुष्‍ट-सुखी जीवन
चोरी कभी नहीं की-कभी कभार कह दिया अलबत्‍ता
बीबी से झूठ
एक च्‍यूँटी भी नहीं मारी-
गाली दी दो-तीन महीने में एक आध
बच्‍चे छोड़े सात
भूल चुके हैं गॉंव के सब लोग अब उसकी हर बात.

-स्वर्गीय हबीब तनवीर


साभार: सोशल मीडिया (संदीप नाईक जी फेसबुक  वॉल से)

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