मेरी आवारगी

You Start Dying Slowly का हिन्दी अनुवाद

कवयित्री Martha Medeiros/ मार्था मेदेइरोस
 
 
ब्राज़ील की कवयित्री Martha Medeiros की कविता "You Start Dying Slowly" का हिन्दी अनुवाद द्वारा  Mani Mohan Mehta।  इस कविता के यहाँ दो अनुवाद चस्पा किये जा रहे हैं। इसका पहला हिन्दी अनुवाद मणि मोहन जी का है दूसरा मौलिक कविता सा लगने वाला  हिन्दी  अनुवाद किसी अनाम शख्सियत ने किया है। इसका नाम हमें पता नहीं है किसी को जानकारी हो तो जरूर बताएं। 

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'You start dying slowly'
You start dying slowly
if you do not travel,
if you do not read,
If you do not listen to the sounds of life,
If you do not appreciate yourself.

You start dying slowly
When you kill your self-esteem;
When you do not let others help you.

You start dying slowly
If you become a slave of your habits,
Walking everyday on the same paths…
If you do not change your routine,
If you do not wear different colours
Or you do not speak to those you don’t know.

You start dying slowly
If you avoid to feel passion
And their turbulent emotions;
Those which make your eyes glisten
And your heart beat fast.

You start dying slowly
If you do not change your life 
when you are not satisfied with your job, or with your love,
If you do not risk what is safe for the uncertain,
If you do not go after a dream,
If you do not allow yourself,
At least once in your lifetime,
To run away from sensible advice…!!!







तुम धीरे-धीरे मरना शुरू देते हो 
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तुम धीरे - धीरे मरना शुरू कर देते हो :

यदि तुम यात्रा नहीं करते ,
यदि तुम पढ़ते नहीं हो ,
यदि तुम जीवन की ध्वनियाँ नहीं सुनते ,
यदि तुम ख़ुद की सराहना नहीं करते ।

तुम धीरे - धीरे मरना शुरू कर देते हो :

जब तुम आत्म गौरव की हत्या करते हो ,
जब तुम दूसरों को अपनी मदद नहीं करने देते।

तुम धीरे - धीरे मरना शुरू कर देते हो :

यदि तुम अपनी लतों के गुलाम हो जाते हो ,
रोज़ ब रोज़ एक ही रास्ते पर चलते चले जाते हो . . . . .
यदि तुम अपनी दिनचर्या नहीं बदलते ,
यदि तुम तरह - तरह के रंग नहीं पहनते 
या उन लोगों से बातचीत नहीं करते जिन्हें
तुम जानते तक नहीं ।

तुम धीरे - धीरे मरना शुरू कर देते हो :

यदि तुम अनुभूति को महसूसने 
और उसकी तीव्र भावनाओं के प्रति
बेपरवाह हो जाते हो ;
जो तुम्हारी आँखों में चमक पैदा करती है
और तुम्हारे दिल की धड़कने बढ़ाती है ।

तुम धीरे - धीरे मरना शुरू कर देते हो :

यदि तुम अपना जीवन नहीं बदलते 
जब तुम अपनी नौकरी से संतुष्ट नहीं होते ,
या अपने प्रेम से ,
यदि तुम सुरक्षा को दाँव पर नहीं लगाते
अनिश्चितता के लिए ,
यदि तुम किसी सपने के पीछे नहीं भागते ,
यदि तुम ख़ुद को इस बात के लिए तैयार नहीं करते ,
कि जीवन में कम से कम एक बार ,
दूर भाग सको तर्कसंगत सलाह से ।

तुम धीरे - धीरे मरना शुरू कर देते हो  ! ! !
अनुवाद : मणि मोहन
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"You Start Dying Slowly" ( आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं ) 
अगर आप करते नहीं कोई यात्रा,
अगर आप पढ़ते नहीं कोई किताब,
अगर आप सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ,
अगर आप करते नहीं किसी की तारीफ़,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
जब आप मार डालते हैं अपना स्वाभिमान,
जब आप नहीं करने देते मदद अपनी,
न करते हैं मदद दूसरों की,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के, 
चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे,
अगर आप नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार ,
अगर आप नहीं पहनते हैं अलग अलग रंग, 
या आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,
और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,
वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें,
और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को,

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं,
अगर आप नहीं बदल सकते हों अपनी ज़िन्दगी को,
जब हों आप असंतुष्ट अपने काम और परिणाम से,
अगर आप अनिश्चित के लिए नहीं छोड़ सकते हों निश्चित को,
अगर आप नहीं करते हों पीछा किसी स्वप्न का,
अगर आप नहीं देते हों इजाज़त खुद को, 
अपने जीवन में कम से कम एक बार किसी समझदार सलाह से दूर भाग जाने की..

आप धीरे धीरे मरने लगते हैं...


                                                                    अनुवादक : कोई अनाम रचनाकार

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2 Comments

Unknown said…
Lovely poem each ń every word touches me💖
Anonymous said…

शनै: शनै: मर रहे हो आप
अनुवाद कर्ता : कुणाल भूषण

शनै: शनै: मर रहे हो आप
अगर नहीं करते यात्रा ,
अगर नहीं करते अध्ययन ,
अगर नहीं सुनते जीवन की अनुगूंज ,
अगर नहीं करते तारीफ
किसी की खुद से ही |

शनै: शनै: मर रहे हो आप
जब मार दिया हो स्वाभिमान को
जब नहीं करने देते दूसरे को अपनी सहायता
या नहीं करते आप दूसरों की सहायता

शनै: शनै: मर रहे हो आप
अगर बन जाते हो अपनी आदतों का गुलाम
चलते हो नित एक ही पथ पर
नहीं बदलते अपनी दिनचर्या
अगर नहीं पहनते रंगीन कपड़े
या नहीं करते बातें अजनबियों से

शनै: शनै: मर रहे हो आप
अगर रोकते हो अपने आवेगो को
एवं अशांत भावनाओं को
जो करती है तुम्हारी आंखों को गीली
और तुम्हारी धड़कनों को तेज|

शनै: शनै: मर रहे हो आप
अगर नहीं बदलते हो अपनी जिंदगी
जबकि नहीं खुश हो ,
अपनी पेशा या प्रियतमा से
या नहीं छोड़ निश्चित को
अनिश्चितता के लिए

अगर नहीं करते पीछा किसी स्वप्न का
अगर नहीं देते अनुमति अपने आप को
जिंदगी में कम से कम एक बार
समझदार सलाह से दूर भागने की

तो सचमुच मर रहे हो आप |


विशेष : उपरोक्त कविता " A Morte Devagar" ( ब्राज़िल ( brazil ) ब्राजील की कवयित्री मरथा मेडीरोम (Martha Medeiros)द्वारा लिखी गई है इसका हिंदी अनुवाद कुणाल भूषण ने किया है| श्री कुणाल भूषण सिविल सर्वेंट है | वर्तमान में डी आर डी ओ ( रक्षा मंत्रालय ) में सहायक निदेशक पद पर कार्यरत है | इनसे kunalbhushan4u@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है |