सुशोभित सक्तावत |
तेरेज़ा ने कहा, "मैं सोने की "कोशिश" कर रही हूं!" रात के सवा तीन बजे थे। मैंने कहा, "कोशिश करोगी तो सो कैसे सकोगी? सोने के लिए कोशिश करना छोड़ देना होता है।" तेरेज़ा मुस्कराई होगी, ठोढ़ी पर तिल का स्याह तारा लिए।
तेरेज़ा कुछ देर चुप रहती है, और फिर कहती है : "सुनो, तुम "समरटाइम" की एक कॉपी ख़रीदो। मैं उसे फिर से पढ़ना चाहती हूं। हम उसे एक साथ पढ़ेंगे। ठीक?" मैं मुस्कराकर कहता हूं : "ठीक!" और चुप हो जाता हूँ! मेरी धमनियों तक पर चुप्पी की धुंध घिर आती है। मैं उससे कई मील के फ़ासले पर था लेकिन मैंने महसूस किया कि उसकी आंखों में अभी नींद नहीं है। मैंने कहा, "तुम्हें याद है, "समरटाइम" में, व्हेन जॉन मेक्स लव टु जूलिया, तो वह कमरे में ग्रामोफ़ोन के रिकॉर्ड्स चला देता है : शायद शूबर्ट या शोपां के संगीत-अंश। वह चाहता है कि वे सिम्फ़नी की लय पर प्रेम करें। और वह उसकी देह पर जैसे "मेडिटेट" करता था, आंखें मूंद कर, हाथों से उसकी देह के कोनों-अंतरों को पढ़ता, किसी आदिम लिपि की तरह। ये फ़िलॉस्फ़र्स भी कितने "लाउज़ी लवर्स" होते हैं ना।" अबकी तेरेज़ा ठठाकर हंस पड़ी होगी, रात को रूई की तरह चींथते हुए।
मैं उससे कहता हूं, "और तुम्हें याद है पहले चैप्टर में जूलिया के "बिट्रेयल" की शुरुआत कैसे होती है? जूलिया की मुलाक़ात जॉन से किसी शॉपिंग मॉल में होती है और सहसा जॉन का एक अनिच्छुक स्पर्श जूलिया को छू जाता है। वह देर तक उस स्पर्श को अपनी देह पर महसूस करती रहती है। घर लौटकर वह आईने के सामने निर्वसन होती है और उस स्पर्श को खोजने की कोशिश करती है, मानो किसी दाग़ की तरह उसे वह कहीं मिल जाएगा। ज़ाहिर है, वहां कुछ भी नहीं होता है : सिवाय एक युवा लड़की की नंगी निष्कलुष देह के : सफ़ेद रोशनी में भींजती हुई!"
तेरेज़ा अचरज से कहती है, "बट जस्ट इमेजिन, तुमने "समरटाइम" पूरे सात साल पहले पढ़ी थी, है ना? तुम्हें इतना सब याद है!" मैं हंसकर कहता हूं, "मुझे कभी कुछ भूलता नहीं। मेरी याददाश्त क़ब्रगाहों की तरह अमर है।" तिस पर तेरेज़ा खिलखिलाई होगी, आवाज़ में झरनों के घुंघरू लिए।
मैं उससे कहता हूं : "सुनो, तुम्हें "नैशविल" की याद है? मैंने जब तुम्हारी वो "नैशविल" वाली तस्वीर देखी तो मुझे यह देखकर बहुत अजीब लगा था कि तुमने उसमें "स्टॉकिंग्स" पहन रखी हैं। जाने कितनी फ़िल्मों और नॉवल्स में लड़कियों को वे महीन जालीदार वूलन "स्टॉकिंग्स" पहनते और उतारते देखा-पढ़ा है, लेकिन तुम्हें वैसे देखना "सेंसेशनल" था। तुम्हारी सर्द सफ़ेद टांगों को निगलती हुईं ज़ुराबें!" तेरेज़ा बोली, "मैं क्या करती, वहां सर्दियां ही इतनी थीं। जाड़ा और नींद। पता है, मैं नींद के लिए "होमसिकनेस" मेहसूस करती हूं। जैसे नींद मेरा घर हो और मैं अपने घर से बाहर हूं : मेरा जागना मेरा "नैशविल" में होना है, "स्टॉकिंग्स" पहने हुए, ठिठुरते हुए, पराये देश में परायी भाषा के साथ। और नींद मेरा घर है।"
मुझे लगता है अब तेरेज़ा चुपचाप कुछ सोचने लगी है। फिर शायद वह अकारण मुस्करा देती है। और तब मुझे महसूस होता है कि उसकी मुस्कराहट मेरा "घर" है। और उसकी उम्र के वे लम्हे भी, मुझसे सुदूर छिटके हुए, जिन्हें मैंने जिया नहीं। मैं उससे कहता हूं : "सुनो, तुम्हें नींद नहीं आ रही है ना। तुम चाहो तो मेरे "घर" में आकर सो सकती हो, जो कि अभी और कुछ नहीं, महज़ तुम्हारी यादों का असबाब है : तुम्हारे स्कर्ट, स्टॉकिंग्स, छल्लों और मुस्कराहटों से भरा हुआ।" तेरेज़ा कहती है, "मैं आ रही हूं, अपने कमरे को साफ़ कर लो और मेरी "स्टॉकिंग्स" को तह करके अपनी शेल्फ़ में सहेज लो, कि अभी मुझे "स्टॉकिंग्स" क़तई नहीं पहनना हैं।"
नोटः यह चिट्ठा मध्यप्रदेश के लिख्खाड़ पत्रकार और लेखक सुशोभित सक्तावत जी की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है। इन्हें पढ़ना हो तो फेसबुक पर इनका लिखा लगातार पढ़ सकते हैं। रोज कुछ नया और रचनात्मक पढ़ने को मिलेगा आपको।
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