प्यार की पोटली का चित्र साभार : अपने झुनझुने से
ये सिर्फ टिफिन के दो डिब्बे नहीं हैं। इनमें अपनापन, मराठी मिट्टी के प्रेम और खाने की सुगंध है। एक डिब्बा हमारे कपड़े स्त्री करने वाली आजी ने भेजा है। कभी उनसे यूँ ही कहा था महीनों पहले आजी मुझे पूरनपोली पसन्द है आप कभी खिलाती नहीं हैं। 60 साल की उम्रदराज महिला ने आज अपने हाथों से बनाकर ये भेजा है। शुक्रिया आजी ये तो आपने आत्मा पर स्त्री कर दी है। दूसरा डिब्बा हमें रोज ताज़ी सब्जियां खिलाने वाले राजू भाई खुद दोपहर में लेकर आये हैं। इन डिब्बों में संक्रांति पर बनने वाले विशेष पकवान हैं। तिल-गुड़ के लड्डू, खीर, पूरनपोली, भजिये, पापड़, अचार और न जाने कौन-कौन से प्रेम में पगे व्यंजन भरे हैं। मन बड़ा प्रफुल्लित हो जाता है जब घर से बाहर रहकर त्यौहारों में ऐसा अपनापन और प्रेम मिलता है। इस प्रेम का आभारी हूँ औरंगाबाद। |
0 Comments