मेरी आवारगी

...चले आओ मैं इंतजार में हूँ कि फिर मिलो

तस्वीर साभार : गूगल
       

 ये क्या फेसबुक-ट्वीटर लगा रखा है तुम सबने। 
मिलना ही है अगर मुझसे, तो नदिया के किनारे मिलो। 
पीपल की छांव में मिलो, गांव के बरगद तले मिलो। 
आम का मौसम है, चले आओ अमराई में भरी दोपहर।

 वहीँ मिलूंगा मैं आमरस और रोटी के 
दो निवालों के साथ। 
उसी छांव में बैठकर गांव को महसूस करेंगे। 
हम अपनी-अपनी कहानी कहेंगे, 

जो फेसबुक-ट्वीटर के हिट्स और लाइक में दब गई है। 
जो नहीं कह सके कई दिनों से, 
मैं तुम्हारा स्पर्श चाहता हूं दोस्त..
फेसबुक पर पोक करना मुझे भाता नहीं। 
वो जो वाट्स अप से लेकर इंस्टाग्राम तक तुम पिंग करते हो न,

यकीन मानों मैं उसमें कभी नहीं रमा। 
तुम्हें देखने और महसूस करने के लिए 
उस आभासी संसार में था। 
अब मुझे तुम्हारा हाथ चाहिए छूने के लिए। 
वो कन्धा चाहिए सिर रखकर रोने के लिए। 
मैं तुम्हारे गले लगकर फूटना चाहता हूँ। 
मुझे तुम्हारी बड़ी तलब लगी है यार। 
मैं इस हिट्स और लाइक के झमेले से 
निकलना चाहता हूं। 

मुझे फिर तुम्हारे वक्त में घुलना है, 
जैसे हम कभी निकल जाते थे रात दो बजे भोपाल की बड़ी झील।
तब तुम्हारे पास फेसबुक के नोटिफिकेशन नहीं आते थे। 
जब टहलते थे भोपाल की गलियों में फाकामस्ती करते।
वो सब वापस चाहिए मुझे, तुमने छीन लिया है मुझसे। 

अब मेरे दिल को चीरकर जो तुम इंस्टाग्राम 
की तस्वीर में दिल लगाते हो न,
 मैं अब उससे ऊब गया हूँ।
अगर मिलना है मुझसे तो चले आओ। 
हम साथ चलेंगे कुछ दूर पैदल तक। 
ऐसी किसी यारानों की गर्द में लिपटी 
सुबहों या शामों में मिलो।

गांव में अगर दिल नहीं रमता है तुम्हारा। 
तो आ जाओ शहर में उड़ती गर्द के बीच ही मिलो। 
मैं अक्सर रूह में तुम्हारी भूख महसूस करता हूँ प्यारे। 
तुम्हारी बातों का जायका जबान में अब तक घुला है।
न जाने कितने लम्हे गुजर गए बिना तुम्हारे। 
मैं यारियों को फिर एक पल में निचोड़ लेना चाहता हूं।
मगर अब जब भी मिलो यारों 
ये गुंजाइश बाकी रखना कि एक प्याली चाय
और ढेर सारी बातों के साथ मिलो। 

हम रूबरू हों, कुछ गुफ्तगू हो यूँ मिलो। 
कुछ कलाम हों, किताब हो, संगीत हो, 
सिनेमा हो और सीने में धड़कता दिल। 
उसी मिलने की आरजू के साथ चले आओ। 
मैं तुम्हारे इंतजार में हूँ जानेमन कि तुम
मुझसे फिर एक बार इसी एतबार से मिलो....।

-7 मई 2017 
© दीपक गौतम 
'आवारा' छुट्टी के रोज दोस्तों की ऊब में।  
#आवाराखयाल #aawarakhayal #कविताई

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