मेरी आवारगी

"नेतवन के जीभ कूकुर से लंबी है"

जनता हिसाब करेगी साहब दंडी
नेतवन के जीभ है कूकुर से लंबी
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ई नेतवन के जीभ कूकुर के जीभ से भी लम्बी होई गई है रे कक्का का बताएं ? ससुरे सब बैक डोर से एक दूसरे खां जमकर सपोर्ट करे हैं औ बाहर पब्लिक फ्रंट मा बहरी जनता के साम्हूँ मतलब के राग दलारे हैं। कौनो लोड नहीं है, छीछालेदर मचाए हैं तमाम ई लम्पट ससुरे। अबे मुद्दों के बात करो काहे कीचड़ उछालत रहत हो हर वक्त। अरबों के आबादी वाले देश मा अबहूँ विकास के मुद्दा छूटे हैं, उनकी बात न कराओ ई नेतवन की दोगली जात से। न कांग्रेस के शूरवीर कम हैं न भाजपा के विकास पुरोधा। एक और आबा है 'आप' नाम के..गज भर लम्बी जबान रखे है ससुर। सब महोदय एक जैसन हैं, लेकिन बोलहीं कब केवल चुनाव के पहिले। ओखे बाद ता सबके जबान मा ताला जड़ा रहत है। बस सत्ता चाही औ सीट ता कौनो आओ-कौनो जाओ फरक नहीं है, पहले जौने पार्टी खाँ भर मुँह गारी देहीं बाद मा चुनाव टाइम ओहिन के तलवा चाटब शुरू। आज नायडू बाबू फिर चपक गए हैं। कबहूँ शाह साहब बोल गए ज्यादा ता कबहूँ बेनी पोंक दिए ता कबहूँ 56 इंच वाले भूली-बिसरी मा फकैती कर गए। ई सब एक थाली के चट्टे-बट्टे हैं कौनो कम नहीं हैं। साफ़ और विकास के राजनीति के भी बहुत स्कोप है भाई हमरे देश मा। विकास के नाम मा काहे आंकड़ों की माँ-बहन कर रहे हैं महोदय ? कबहूँ इतिहास कमजोर पड़े है ता कबहूँ वर्तमान। ध्यान दो भैया हरो। ऐसन न चली ज्यादा रोज। काहे से अबकी जनता माफ़ नहीं करेगी न मुन्ना न। बाबू जबान पर लगाम दो औ चुनाव के पहले नहीं पूरी पंचवर्षीय काम करें के आदत डारो। फर्जी बकर औ झूठे आँकडन के जरूरत न पड़ेगी। औ हाँ केवल चुनाव टाइम "अबकी जनता माफ़ न करेगी", "हर हाँथ शक्ति हर हाँथ तरक्की" से कुच्छ न होई। का समझे हो। बुड़बक समझे हो का जी जनता को हैं, जनता सब जानती है जी। चूतियम सल्फेट न समझो जी। काहे से कि जनता अब हिसाब करेगी साहब...केवल हिसाब और साफ़ करेगी आपको और राजनीति को। धो-धोकर सफाई होगी ठहर जाइये।

नोटः यह चिट्ठा एक पुरानी फेसबुक पोस्ट से लिया गया है।

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