मेरी आवारगी

गट्टू महाराज की पहली बाइक राइड

     फोटू खैंचक : Pandit Vikrant Gautam

ये हैं हमारे परिवार के नए सदस्य चुलबुले और शरारती गट्टेश्वर महाराज उर्फ गट्टू जी। इनका ये नामकरण हमने किया है। घर की सारी बच्चा पार्टी के लाड़ के नाम रखने के लिए हम कुख्यात हैं। भांजी वंशिका का नाम गुल्लू , भतीजे आरव का नाम फुलौरी और ओम का नाम गिलौरी हमने ही रखा है, सो इन महाशय का नाम भी हमें ही रखना पड़ा। वैसे इनका ऑफीशियल नाम अद्वैत है। लेकिन अपन तो गट्टू ही बुलाते हैं। इनकी कोमल त्वचा से आप इनकी उम्र का अंदाजा लगा ही सकते हैं। अभी ये एक वर्ष के भी नहीं हुए हैं। देखिए कितने मासूम और प्यारे दिख रहे हैं। घर में ये सबके दुलारे हैं। 

हाल ही में इन्होंने अपनी बुआ shikha जी यानि हमारी छुटकी की शादी के बड़े दायित्व को पूरा किया है। इनके नाजुक कंधों पर भी कहीं न कहीं इतनी बड़ी जिम्मेदारी थी, जिसे इन्होंने अपने अवतरण के 8 से 9 माह के अंदर ही बखूबी निभाया है। बाल गोपाल की तरह इनके चरण बड़े शुभ प्रतीत हो रहे हैं। 

दस दिसम्बर को विदाई के बाद गट्टू की नन्हीं आंखें पूरे घर में अपनी बुआ को तलाश रही थीं। जन्म से ही माँ-बाप, दादा-दादी, चाचा-चाची के बाद ये अपनी छोटी बुआ के साथ सबसे ज्यादा रहे हैं। इसीलिए थोड़े उदास से दिख रहे थे। ऐसे में अगले दिन हमने इनकी पहली बाइक राइड कराई। इस दौरान गट्टू ने नगर पालिका उचेहरा का भ्रमण किया फिर नदी की दुर्दशा को करीब से देखते-समझते  हुए घर की ओर वापस लौटे। अब ये छोटे चाचू सिद्धू Sidharth को अपने अवचक निरीक्षण का सारा हाल बताएंगे। 

तुम्हारे इस चाचू तरफ से तुम्हें ढेर सारा प्यार - दुलार और आशीर्वाद। मस्त रहो नन्हें फरिश्ते। यूँ ही अपनी मुस्कान से सबके दिलों को रोशन करते रहो। बस एक हंसी की चाशनी ही तो जिंदगी में घुलना जरूरी है, क्योंकि यहां वैसे भी आंसुओं के खारेपन और नमक की कोई कमी ही नहीं है।💝 

© अपनी एक फेसबुक पोस्ट


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