मेरी आवारगी

देख अब वादाखिलाफी मत करना।


तुझे गए बरस बीत गए, मगर मैं वहीं ठहरा हूं। तुम्हें पता है यहां सब खूबसूरत है तेरी प्यारी हंसी जितना और मीठी बातों जैसा। तू मुझसे छूटा नहीं है रे पगले मैंने छोड़ दिया अपने मजहब (आवारगी) की बुलंदी के लिए। तुझे उससे बहुत जलन होती थी न और मुझे फक्त इश्क।
जब हम साथ थे वेलन्टाइन का कोई तोहफा और गिफ्ट नहीं दिया मैंने, तुझे तो पता है ये सब गिफ्ट-सिफ्ट देना तुझसे ही सीखा है। आदत नहीं रही कभी, हां गले लगने वाला किस वाला दिन नहीं भूला कभी उस दिन तो तेरी बारी होती थी न।
खुद को इतना महफूज और मेरी जिद पर दुनिया ताक पे रखने की तेरी उस अदा का आज भी लोहा मानता हूं। तूने बगावत, अदावत, इजारत और शहादत अपने इश्क की सब खुलकर की है हमेशा। आज भी कुछ गुजरे लम्हे कैद हैं डायरी के पन्नों में और जिन्दगी की किताब में। कभी-कभी लगता है कि क्यों इतना अकडू था, जो आज समझा हूं उस वक्त समझ गया होता, तो तुम शायद आवारगी से रश्क न करते। बेपरवाह तो तब भी था और लापरवाह, अब तुम घुले हो कहीं जहां से मुझे रोकते नहीं, तो सुधरने की सारी गुंजाइश चली गई है। अब कोई नहीं कहता कि ये गड़बड़ है ऐसा मत करो गौतम जी.. सिवाय मेरे।
बहुत अच्छा लगता है यूं तेरे साथ रहकर, अब रूठने-मनाने का भी ठौर नहीं है। सच कहूं तो बड़ी झंझट थी ससुरी इतना मनाने के बाद भी जब तुम कह देते कि हमें मनाना नहीं आता, तो दिमाग का कोरमा बन जाता था। ये कभी कह नहीं पाये...अब अपनी रही-सही कौन उतारे।

जाने दे कुल जमा इतना ही है कि आज पहली बार तुझसे वादा करने का मन हो रहा है। बाकी के किये गए झूठे हो चले वादों की बात नहीं करेंगे। अब तुम अंदर ही रहना जब हम कहें तब चली आना बाहर, क्योंकि निगोड़ी दुनिया बड़ी जालिम है फिर छीन लेगी तुझे मुझसे। ऐसे ही साथ रहना उम्रभर कि इश्क भी ताजा रहेगा और अश्क भी कम छलकेंगे, न तुम्हें दर्द होगा अपन भी किसी मर्ज में नहीं बहकेंगे। अब वादाखिलाफी मत करियो सोणिये...( जा जीभर के जी और खुश रहना कभी बदलना मत कभी किसी के लिए तू वैसी ही भली है, गर लगे कि तेरी तासीर को सुकून अता है और तुझे बुलंदी नसीब तो एक ख्याल हो जाना। लव यू फॉरएवर उतना कि जितना किसी ने नहीं किया। हैप्पी वैलेंटाइन माय लव )

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