मेरी आवारगी

किसी निगाह में तो होगा वो नूर

!! हमारा भी आफताब होगा कहीं, ठहरी हुई कैद पड़ी है जिन आँखों में जिंदगी 'आवारा', किन्हीं और एक जोड़ा आँखों में दिखेगा वो नूर...तलाश लेंगे उसे मोहब्बत की चौखट से, अब वो गुल न खिला..अपना गुलाब न मिला तो क्या गिला ? जो बगावत करेगा खुद से लुट जाए आवारगी में, बिसार दे दुनिया इश्क में मेरे... कभी तो आएगा वो अजनबी जिससे चल पड़े फिर ये सिलसिला !! ये अजीब दयार है दोस्तों, कभी सब लुटाकर नहीं मिलता वो पानी का बुलबुला, कभी होती है बेमौसम बरसात कि आँख का 'पानी' भी उस नूर की बारिश में हो बह चला !!

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