मेरी आवारगी

हां मैं गम बेचने आया हूं

इससे पहले कि धुआं उठे
उकेर लेना आग को कागज पर
यकीनन वो शब्द जहर बुझे होंगे
कागज जलने का अंदेशा हो
दर्द की स्याही में पिरोना उन्हें
लोग बहते आंसू खरीदते हैं यहां
हां मैं गम बेचने आया हूं
हो मोहब्बत दिलों में तो सौदा करो
खुशियों के सजदे में झुकती आई कायनात
दर्द में लहू की शिनाख्त
आवरगी का अहतरम
अब कौन करेगा ‘आवारा’
जहां से दुश्मनी मेरी
न हरम अपना
न मौसकी यारों
फकत इश्क और आशिकी
करम होगा कभी काफिर
बयार भी बहेगी
हवा कुछ ऐसी चलेगी
रहेगा जहां में दर्द का गीत
उस मर्ज का गीत
मेरी मीत का प्रीत
जेहन सजदे में झुकेंगे
कि आवरगी का अहतरम बुलंद होगा

Post a Comment

0 Comments