मेरी आवारगी

हर जिस्म में साबुत हम ही नजर आएंगे


लुटा लो जीभर के प्यार दुनिया पे,
 इश्क तो तुमने हमीं से सीखी है।
जब भी जुल्फ़  लहराओगे 
उन खुशबुओं से बिखर जाएंगे, 
चूमोगे जो लव कोई तो लहू में उतर जाएंगे।
निगाह अब भी नीची होगी तेरी....
दामन थाम लो कोई तो क्या ?
हर जिस्म में साबुत हम ही नजर आएंगे।
मोहब्बत टूट के की है हमने 
तुम उजाड़ दो वो फूलदान तो क्या ?
कायनात के हर गुलाब से मोहतरम … 
तेरी रूह तक महक जाएंगे।
 'आवारा' कर लो कुछ और नाकाम कोशिशें, 
देखना राख होने तक इंतजार में तेरे 
फ़क़त  हम ही खड़े रह पाएंगे।

बस इश्क है तुमसे रवां-रवां……

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