मेरी आवारगी

तेरी यादें

तेरी यादें सताती हैं,
हंसाती हैं...रुलाती हैं
बनाती हैं, मिटाती हैं,
गिराती हैं, उठाती हैं।
टूटकर जब बिखरता हूं..
सिमटना भी तुझी में
और पिघलना फिर तुम्हीं में
याद आता है।
ठिठक कर रूह में
ऐसे बहे हो जिस्म के अंदर,
बारिशों का वो जमाना
अब कभी भी बरस जाता है।
दर्द सूखा है पोरों में कहां,
कौन इसको आजमाता है।
ज़ेहनी गलीचों में दरख्तों का दरकना,
महज एक मुस्कराहट के लिए
भटकना याद करके फिर उन्हीं सड़कों में
पाना तुझे याद आता है।
इबादत भूलकर उसकी,
तेरे दीदार का वो आशिकाना सा तराना
वक्त की चादर में सिलवटों का
वो करवटें बदलना याद आता है।
कहता हूं नहीं....
मेरे शब्दों का तुमसे रूठ जाना
अब कसम से दिल जलाता है।
तेरी यादें.........बनाती हैं...मिटाती हैं....!!



एक साल पहले बनाया गया चित्र
 




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