मेरी आवारगी

रंगरेज कहाँ.... वो रंग !!

मलय बहे नवगंधा लेकर
हो अधर उदित मकरंद

तरुणाई का स्वाद चख रहे
भ्रमर गा रहे छंद....

मदन करे रति से मनमानी
राधा नाचे मोहन संग.....

काली लट टेसू रस भीगी
मांगे मिलन घड़ी बिरहन

सादी चूनर हो सतरंगी
रंगरेज कहाँ.... वो रंग  !!

चला अबीर आशाएं लेकर
इत उत फिरे गुलाल मलंग


साभार- रोहित मिश्रा उर्फ़ 'मलंग' http://malanng-rohitashwa.blogspot.com

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