नानी तुम्हारी तस्वीर भी नहीं है मेरे पास कि आज दूर से ही सही तुम्हारे आखिरी दर्शन कर पाता। दो वर्ष पहले मिला था तुमसे। तुम्हें मृत्यु शैय्या पर देखने का साहस नहीं है मुझमें। मुझे माफ़ कर देना नानी माँ। आज अभी-अभी तुम्हारे जीवन से हमेशा के लिए चले जाने की खबर ने हिला दिया है। सिवाय शब्दों और आंसुओं के कोई और सहारा नहीं है पास। लिखने का मन हो रहा है तुम पर,मगर क्या लिखूं तुम्हारी ममता और प्यार के साथ मिली डांट के सिवाय कुछ याद नहीं है। इन शब्दों के बहाने कितना कुछ बह चला है आज।
हमारी अम्मा की माँ को गए तो जमाना हो गया। अपने पैदा होने से पहले ही वो स्वर्ग सिधार गईं थीं। उनकी शक्ल तक नहीं देखी, अगर वो रही होंगी तो तुम्हारे जैसी ही होंगी। कभी महसूस ही नहीं हुआ कि तुम चाची माँ की माँ हो। मुझे याद है बचपन से बड़े होने तक अम्मा से ज्यादा मैं चाची माँ के पास ही रहा हूँ। यहाँ तक कि अगर कोई सुबह अम्मा के बिस्तर पर हुई तो चाची माँ की फजीहत कर देता था। ठीक वैसा ही तुमसे प्यार। मजाल कि मेरे सामने कोई और गले लग जाए तुम्हारे। तुमसे लपटने का एकाधिकार था मेरा।
बचपन की वो दुर्घटना और मेरे हाँथ की अंगुलियों पर पड़े निशान आज तक मेरे साथ हैं। नादानी में हैंडपंप के हैंडल से आई चपेट से उन्हें काटने जैसी हालत हो गई थी, तुम न होती तो उस नर्स को ये अहसास न होता कि हाँथ में पाँचों अंगुलियां जरूरी हैं। तुम्हारे देशी नुस्खे न होते तो आज आवारा दाएं हाँथ में बिना दो अँगुलियों के होता।
मिट्टी के कच्चे बर्तन में पकते दूध सा सोंधा है तुम्हारा प्यार। मटके में देशी अंदाज से भाएं गए मट्ठे और ताजे नैनू सा ताजा। ताउम्र तेरे प्यार का सोंधापन जेहन में ताजा रहेगा। जैसे गर्म रोटी पर जमा हुआ घी पिघलता है, तुम हमें सामने पाकर वैसे ही पिघलती थीं नानी माँ।
एक आखिरी बार तुम्हारे पास होना चाहता हूँ, कितना निष्ठुर लगता है वक्त जब वो अजीज रिश्ते छीनता है। दिल सब मानने से इंकार करता है, बस याद आता है तो उन रिश्तों में बसा सोंधा प्यार। तुम्हारी सुनाई हर कहानी जो अब तक जेहन में हैं मैं उन्हें लिखूंगा क्योंकि अब तुम कहानी हो गई हो।
मैं हमेशा चिढ़ता था जब कोई और मुझे दिपुआ नाम से बुलाता था, क्योंकि वो तुम्हारा कहा नाम था मुझे किसी और से वो दिपुआ सुनकर चिढ़ होती थी। अब मेरे कान तरसेंगे प्यार में पगा दिपुआ सुनने को। रोने का मन हो रहा है मां....!!
लव यू नानी माँ खुदा तुम्हें जन्नत बख्शे....तुम्हारा दिपुआ।
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