ओ रे टोपी वाले बाबा हमें माफ़ करो
अपने करमन का पहले हिसाब धरो
चुल्लू में जरा सा पानी लो गैरत का
गंदी राजनीति को धोकर साफ़ करो
जो मिली ही नहीं दंगों से झुलसकर
उन लावारिश लाशों का हिसाब करो
गर लगे कि बदल दोगे बिगड़ी सूरत
तो नेक सीरत से बुलंद आवाज करो
हम अब भी चाहते हैं खुले में सोना
तुम दहशत से बस्ती तो आजाद करो
ओ रे टोपी वाले बाबा हमें माफ़ करो...
किसे चाहिए जाति-धर्म से उपजा बैर
इस फिजा में मोहब्बत तो आबाद करो
अरे वर्षों सेंकी हैं तुमने लाशों पे रोटियां
अब तो बोटियों से खुद को आजाद करो
ओ रे टोपी वाले बाबा हमें माफ़ करो...
नफरतें बहुत हैं यहाँ जहरीली फिजा में
कभी तो इंसानियत के तराजू में नाप करो
और कितना गिरोगे खुद्दारों खद्दर के लिए
जिस्म में मढ़ी ख़ाकी से जरा इंसाफ करो
ओ रे टोपी वाले बाबा हमें माफ़ करो...
सफेदपोश ही रहो जमीर के भीतर-बाहर
रूह की तह तक जमी धूल भी साफ़ करो
बहुत हुआ जन बनकर जनता को लूटना
हर चप्पे में पसरी मौत का तो हिसाब करो
आवारा वोट नहीं बस चोट करेंगे...रे बाबा माफ़ करो...लाशों का पहले हिसाब करो..हिसाब करो
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