मेरी आवारगी

तुम्हारा हर आंसू कागज पर उकेरने तक लिखूँगा

तुम्हारे दर्द में पिरोया हर शब्द मेरी आत्मा का वो कोढ़ है, जिसके साथ मैं जीना चाहता हूँ। तुम्हारे आंसू जिंदगी के दामन पर वो दाग हैं जिन्हें हमेशा छुपाता रहा हूँ। अब बूंद दो बूंद बह भी लूँ अंदर की छटपटाहट से जेहन रिक्त नहीं होता है। कहीं तृप्ति नहीं है, अब भी स्वार्थ से मुक्त नहीं हूँ। शायद अपनी मुक्ति की चाह में ही ये लिख रहा हूँ, तुम्हारी आँख से रिसा एक-एक आँसू जब तक स्याही की शक्ल में न आ जाए..लिखता रहूँगा।

#आवाराकीडायरी

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