मेरी आवारगी

मैं तुझे आखरी सांस चुकने तक ओढ़े रखना चाहता हूँ

चित्र साभार www.imgfave.com
तुम्हारी सुबहों में घुलने के लिए अक्सर वो नींद के आगोश वाली अलसाई आवाज सुनने का जी करता है। ये सवेरे तुम्हारे साथ हों न हों कानों में तुम्हारी आवाज की मिसरी का दो-चार बून्द शहद टपक जाता है, तो पूरा दिन मीठा हो जाता है। मैं तुम्हें हर लम्हे जीना चाहता हूँ, सुबह की पहली किरण से लेकर फलक पर चाँद की चांदनी बिखरने तक। जिंदगी की काली रातों से लेकर उजले सवेरों तक मुझे बस तुम चाहिए...सिर्फ तुम। क्योंकि तुम जिस्म का नहीं मेरी रूह का लिबास हो हमदम, ऐ मेरी आवारगी के लबादे मैं तुझे आखरी सांस चुकने तक ओढ़े रखना चाहता हूँ। वजूद का मखमली अक्स बनने के लिए शुक्रिया मेरी जान।
@तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा 😍आवारा😍😘
#आवाराकीडायरी

Post a Comment

0 Comments