मेरी आवारगी

ये खबरों, ये मीटिंग्स, ये फीचर्स की दुनिया



ये खबरों, ये मीटिंग्स, ये फीचर्स की दुनिया ये इंसा की दुश्मन करसर्स की दुनिया
ये डेडलाइंस के भूखे मीडिया की दुनिया
ये अखबार अगर निकल भी जाए तो क्या है?
यहां इक खिलौना है एम्प्लाई की हस्ती
ये बस्ती है मुर्दा पत्रकारों की बस्ती
यहां पर तो इंक्रीमेंट है महंगाई से सस्ती
ये रिव्यू अगर हो भी जाए तो क्या है?
हर एक कीबोर्ड घायल, हर एक लॉगिन प्यासी
क्वार्क एक्सप्रेस में उलझन, इनडिजायन में उदासी
ये ऑफिस है या अलामतें माइक्रोसॉफ्ट की
ये पेज रिलीज अगर हो भी जाए तो क्या है?
जला दो इसे, फूंक दो ये मॉनीटर
मेरे सामने से हटा दो ये मॉडम
तुम्हारा है तुम ही संभालो ये कम्प्यूटर
ये अखबार बिक भी जाए तो क्या है?


जरूरी सूचना: डीबी स्टार में प्रकाशित कविता का पत्रकारिता के हिसाब से मोडिफिकेशन किया गया है।


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1 Comments

Deepak said…
डीबी स्टार वाली कविता का भी लिंक शेयर करें