मेरी आवारगी

माँ रसोई में प्रेम पकाती है

अम्मा का ये फोटू धर्पत्नी नमिता जी ने उतारा है।
    
माँ घर की कच्ची रसोई में अक्सर
सिर्फ भोजन नहीं प्रेम पकाती है।
स्नेह की धीमी आंच पर बड़े लाड़
के साथ जो पकवान बनाती है।
उसके चूल्हे की सूखी रोटी भी
56 भोग को मात दे जाती है।
उसने प्रेम की इसी मंद आंच में
अपना सारा जीवन होम कर दिया।
बुजुर्गियत के दौर में भी अपनी फिक्र
छोड़ चूल्हे-चौकी में जुट जाती है।
जब भी देखता हूँ उसकी आंख के नीचे
तिल-तिल बढ़ती झुर्रियों को, बस यही
लगता है कि माँ तो जीवन भर बच्चों के
लिए हांडी पर भोजन नहीं बस प्रेम पकाती है।

-17 नवम्बर 2020
© दीपक गौतम

Post a Comment

7 Comments

Unknown said…
Bohot hi sundar ❤️
Unknown said…
Bohot badhiya ��
sudha said…
मां की तरह हर शब्द सुंदर 😍
VIVEK JHA said…
बहुत शानदार दीपक भाई 👌👌👌
Deepak Gautam said…
विवेक भाई, सुधा और रेवन सहित आप शेष सुधी पाठकों का बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद।