मेरी आवारगी

बाबा चलती-फिरती पाठशाला हैं


लगभग 3 वर्ष पहले गुजरा बाबा का बर्थडे


बाबा के बारे में कुछ लिखना हो तो अक्सर शब्द कम पड़ जाते हैं। आज उनका जन्म दिन है। लगभग डेढ़ दशक पहले उनसे पहली मुलाकात यूनिवर्सिटी के प्रांगण में प्रेस कॉम्प्लेक्स में हुई थी। मैं याद करता हूँ तो लगता है कि जैसे कल ही की बात हो। ये बाबा का हम विद्यार्थियों के प्रति स्नेह है कि इतना लंबा समय गुजरने के बाद भी कल ही की बात लगती है। बाबा से किताबों की ही नहीं बल्कि जिंदगी की बारीकियाँ भी सीखने को मिली हैं।

मैं इसीलिए कहता हूँ कि वे चलती-फिरती पाठशाला हैं। बस उन्हें देखकर ही संयम से धैर्य पूर्वक काम और जिंदगी के बीच संतुलन बिठाते हुए उसका बेहतर प्रबंधन करना आसानी से सीखा जा सकता है। शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि भारी व्यस्तताओं के बावजूद बाबा परिवार को समय देना कभी नहीं भूलते हैं। भले ही वो देर रात हो या फिर अलसुबह, वे कहीं ना कहीं अपनी दिनचर्या से अपनों के लिए समय चुरा ही लेते हैं। 

इसी बीच हम सब विद्यार्थियों के लिए भी उनके पास समय बचा रहता है। वे आज भले ही यूनिवर्सिटी से इतर 'मध्यप्रदेश माध्यम' में महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वहन कर रहे हों, लेकिन एक मीडिया गुरु के रूप में उन्होंने विद्यार्थियों की जो पौध तैयार की है, आज उसकी फसल देशभर के मीडिया संस्थानों में लहलहा रही है। 

जिंदगी ने मुझे एक छोटा सा अवसर बाबा के साथ काम करने का भी दिया था। उस वक्त मैं बहुत करीब से ये सब देख-सुन कर समझ सका। मुझे अक्सर हैरत होती है कि सालों पुराने बैच के विद्यार्थियों के वो अब तक न सिर्फ सम्पर्क में हैं, बल्कि उनके नाम और शक्लें उनके जेहन में एकदम ताजा हैं। यहां तो ये आलम है फरेबी दुनिया का कि आदमी मोबाइल तक में नाम और नम्बर सेव करने में दस बार सोचता है। लेकिन बाबा अपनी विद्यार्थियों के लिए अपने मन का एक कोना बिल्कुल रिजर्व रखते हैं। ये उनका स्नेह नहीं तो और क्या है। 

मैं निजी तौर पर अपनी अनुभूतियों से यही महसूस कर पाया हूँ कि बाबा ने हम सभी को कभी विद्यार्थियों की तरह ट्रीट ही नहीं किया। वो हमेशा अपने बच्चों सा प्यार -दुलार और स्नेह हम सब पर बरसाते रहे हैं। शायद यही वजह है कि प्रेम के एक बारीक मखमली रेशे से हम सब जुड़े हुए हैं। 

हम विद्यार्थियों में से शायद ही कोई हो, जो मेरी इस बात से इत्तेफ़ाक न रखता हो। मैं समझता हूँ कि बाबा जैसा निश्छल प्रेम यदि किसी के पास है, शायद तभी वो जीवन का बेहतर प्रबंधन कर सकता है। क्योंकि 'लाईफ मैनेजमेंट' का असल हुनर तभी विकसित हो सकता है। दरअसल केवल लेन-देन के रिश्ते व्यापारिक होते हैं, वहां प्रेम का पनपना सम्भव ही नहीं है। और बिना प्रेम के हजारों दिलों में जगह बना पाना सम्भव नहीं है। 

मैं निजी तौर पर यही कह सकता हूँ कि मैनेजमेंट किसे कहते हैं, वो बाबा से सीखने लायक है। जीवन के बदलते हालातों में कब ? कैसे ? और कहां ? किस ? भूमिका में रहकर जीवन में संतुलन बिठाना है। इसमें बाबा को महारत हासिल है। वो बदलते दौर के साथ खुद में बदलाव लाने की हमेशा प्रेरणा देते रहे हैं। 

मैं निजी तौर पर मानता हूँ कि वर्तमान दौर ''मल्टी-टास्कर्स'' का है, क्योंकि अब इंसान तकनीक के उस मुहाने पर है। जब हम 'आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस'' के दौर में पहुंच गए हैं। ये वक्त कई विधाओं में पारंगत न होते हुए भी चार काम एक साथ करने का हुनर विकसित करने का है। भविष्य में ऐसा भी होगा कि धीरे-धीरे मानव श्रम और घट जाएगा। नौकरियों के लिए और तबाही होगी, तब सिर्फ और सिर्फ ''मल्टीटास्किंग पर्सनैल्टी'' ही सर्वाइवर होगी।

और ये हुनर आपके अंदर गूगल बाबा या व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी नहीं विकसित कर पाएगी। इसके लिए गुरुजी की शरण में जाना होगा। ज्ञान अर्जित करना होगा। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि बाबा की डांट -फटकार और प्यार-दुलार सब हमें मिला है। हम अपनी चलती-फिरती पाठशाला से ये सब सीखते रहते हैं। इसीलिए जब कभी कहीं उलझन होती है, तो बाबा की एक ही बात याद आती है कि ''कोई नहीं...अपन कर लेंगे...हो जाएगा"। जिंदगी की हर मुश्किल बस एक उम्मीद और हौसले के सामने हार जाती है। 

आज आपका जन्म दिन है। इसके लिए आपको ट्रक भर बधाई। आपसे मिले स्नेह और प्रेम के लिए हम सब विद्यार्थियों की ओर से शुक्रिया। आपकी मुस्कान सलामत रहे। जन्म दिन की अनंत शुभकामनाएं। हैप्पी बर्थ डे बाबा🎂🎂

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